- शांतिदूत ने धर्मसभा को दी आत्मकल्याण की प्रेरणा
- दिल्लीवासियों ने आचार्यश्री के स्वागत में दी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति
- शासनमाता साध्वीप्रमुखाजी की चित्त समाधि के लिए जप का क्रम भी रहा जारी
12.03.2022, शनिवार, अध्यात्म साधना केन्द्र, छत्तरपुर (दिल्ली)। जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की आध्यात्मिक वाणी का प्रकाश मानों देश की राजधानी दिल्ली को आलोकित कर रहा है। इस आलोक से अपने जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए प्रतिदिन दिल्लीवासी पूज्य सन्निधि में उपस्थित हो रहे हैं। आचार्यश्री भी श्रद्धालुओं पर अपनी कृपावृष्टि कराते हुए उन्हें आगमवाणी के माध्यम से जीवनकल्याण का पाथेय प्रदान करने के साथ ही यथावसर उन्हें मंगल आशीष भी प्रदान कर रहे हैं।
शनिवार को अध्यात्म साधना केन्द्र परिसर में बने वर्धमान समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि इस संसार में आत्मा स्थाई, शाश्वत और शरीर अस्थाई और अशाश्वत है। संसार का प्रत्येक पदार्थ नित्य भी और अनित्य भी है। दीए से लेकर आकाश तक एक स्वभाव वाले हैं। कहीं नित्य की प्रधानता होती है तो कहीं अनित्य की प्रधानता होती है। आदमी का जीवन आत्मा और शरीर का संयोग है। शरीर अस्थाई और अशाश्वत है। शरीर के परमाणु स्थाई होते हैं, किन्तु उन परमाणुओं से निर्मित यह शरीर रूपी पीण्ड अस्थाई है। इसमें परिवर्तन भी होता रहता है। जो पदार्थ आंखों से दिखाई न दे, उसका भी अस्तित्व होता है। आत्मा अछेद्य, अदाह्य, अक्लेद्य, अशोष्य है।
अध्यात्म जगत के अनुसार आत्सा स्थाई तत्त्व है। इसलिए आदमी को अपनी आत्मा की ओर उन्नमुख रहने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अकेला जन्म लेता है, अकेला अपने कर्मों का फल भोगता है और अकेले ही चला जाता है। आदमी जो कर्म करता है, उसका परिणाम भी उसी को भोगना होता है। ऐसा नहीं होता कि किसी के कर्मों के फल को कोई बांट ले। स्वयं किए गए कर्मों के फल व्यक्ति को स्वयं ही भोगना होता है। इसलिए आदमी को जीवन में अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। पाप कर्मों आदमी बचने का प्रयास करे तो अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है।
आचार्यश्री ने नित्य की भांति आज भी शासनमाता साध्वीप्रमुखा साध्वी कनकप्रभाजी के स्वास्थ्य के लिए जप का प्रयोग कराया। कार्यक्रम में दिल्ली सभा के सदस्यों द्वारा स्वागत गीत का संगान किया गया। अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के श्री के.सी. जैन, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री विकास बोथरा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष श्री कांति श्यामसुखा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री शांतिलाल पटावरी, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती मंजू जैन तथा श्रीमती कल्पना सेठिया ने अपनी-अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली सभा के मंत्री श्री डालमचंद बैद ने किया।
आचार्यश्री ने दिल्लीवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि हमारा दिल्ली में निर्धारित समय से पूर्व ही आना हो गया। यहां के लोगों में खूब शांति बनी रहे।