नई दिल्ली: यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकाले जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा कि गुरुवार तक 17 हजार छात्रों को निकाला जा चुका है और बाकी बचे छात्रों को निकालने की प्रक्रिया चल रही है। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि छात्रों की जितनी चिंता कोर्ट को है, उतनी ही चिंता सरकार को भी है। कोर्ट ने सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और संतोष जताया, लेकिन कहा कि स्वजन की परेशानी चिंतित करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से आनलाइन हेल्पलाइन बनाने पर भी विचार करने को कहा है जिसमें यूक्रेन से निकाले गए और वहां फंसे सभी छात्रों का ब्योरा डाला जाए ताकि स्वजन को जानकारी हो सके। ये बात प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालकर लाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को कही। पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा कि वह हाई कोर्टो को बताएं कि वे यूक्रेन में छात्रों के फंसे होने के मुद्दे पर सुनवाई न करें क्योंकि अगर कई हाई कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करने लगेंगे तो एक ही मामले में विभिन्न सुनवाईयां और आदेश होंगे।
प्रधान न्यायाधीश ने रूस और यूक्रेन के युद्ध को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि टकराव को समझौते के जरिये हल किया जाना चाहिए। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा था कि वे यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने के लिए कुछ करें। शुक्रवार को अटार्नी जनरल ने इस मामले में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। वेणुगोपाल ने बताया कि रोमानिया सीमा के पास फंसी याचिकाकर्ता छात्रा फातिमा अहाना और उसके साथी छात्र शुक्रवार रात तक भारत पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि गुरुवार को सुनवाई के बाद प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा को इस संबंध में बताया गया था और उन्होंने रोमानिया का मसला देख रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया को सूचित किया। इस पर जस्टिस रमना ने कहा कि आपने निजी रचि लेकर इस मामले में जो किया है, उसके लिए आपका बहुत धन्यवाद।
कोर्ट ने जब पूछा कि कितने छात्र यूक्रेन में फंसे हैं तो वेणुगोपाल ने बताया कि 7,000 छात्रों को निकाला जाना शेष है और 17,000 को निकाला जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह मसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए, वह लगातार छात्रों को वापस लाने में लगी है।
फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील को फटकार लगाई और कहा कि अगर आप वास्तव में गंभीर व्यक्ति हैं और समाजसेवा करना चाहते हैं तो यह तरीका नहीं होता कि अखबार की कटिंग लगाकर याचिका दाखिल करें। आपको मालूम है कि यह संवेदनशील स्थिति है, कोर्ट इसमें न नहीं कह सकता। आप प्रचार पाने के लिए इसका फायदा न उठाएं, जैसी आपकी मंशा लगती है। वकील ने कहा कि उनकी ऐसी मंशा नहीं है।