नई दिल्ली:रूस-यूक्रेन जंग के पांचवें दिन यानी सोमवार को दो बड़े बदलाव देखने में आए हैं. एक तरफ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका समेत नाटो देशों को परमाणु हथियारों की धमकी दी है, तो इसकी निंदा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने आज ही नाटो देशों की आपात बैठक बुलाई है. इस कड़ी में रूस-यूक्रेन के पड़ोसी देश बेलारूस ने संवैधानिक जनमत संग्रह की कवायद को अंजाम देकर एक बड़ा फैसला किया है. इस फैसले के तहत बेलारूस ने अपने गैर-परमाणु दर्जे वाले देश की पहचान खत्म कर दी है. इसके बाद रूस के लिए अपने परमाणु हथियार बेलारूस में तैनात करने का रास्ता साफ हो गया है. जाहिर है रूस समर्थित बेलारूस के इस कदम से यूक्रेन पर न सिर्फ दबाव बढ़ गया है, बल्कि उसके पास घुटने टेकने की एक और वाजिब वजह भी हो चुकी है.
रूस पहले ही अलर्ट कर चुका है न्यूक्लियर डेटरेंट फोर्स
गौरतलब है कि रविवार को मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि रूस ने न्यूक्लियर डेटरेंट फोर्स को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं. अब बेलारूस के संवैधानिक जनमत संग्रह से समीकरण यूक्रेन के लिए और संकट वाले हो गए हैं. सामरिक जानकारों की मानें तो बेलारूस के इस कदम के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति ने बेलारूस के राष्ट्रपति को फोन कर इस तरह रूस की मदद नहीं करने की अपील भी कर दी है. रूस ने जिस तरह परमणु हथियारों की धौंस दी और अब जिस तरह बेलारूस ने उसके साथ कदम-ताल मिलाया है, उससे महायुद्ध के और बढ़ने की आशंका ज्यादा गहरा गई है.
रूस-यूक्रेन बातचीत पर निगाहें
हालांकि यूक्रेन को अमेरिका-ब्रिटेन समेत अन्य देश भी मदद उपलब्ध करा रहे हैं. यह अलग बात है कि इनकी मदद से यूक्रेन कब तक रूस की सैन्य ताकत का मुकाला कर सकेगा, इसका उत्तर भविष्य के गर्भ में है. बेलारूस ने सिर्फ रूस के परमाणु हथियारों की यूक्रेन की सीमा पर तैनाती का रास्ता ही साफ नहीं किया है, बल्कि अपने पैराट्रूपर्स को भी यूक्रेन के खिलाफ तैनात कर दिया है. इससे रूस को यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने की मुहिम का रास्ता और साफ हो जाएगा. रूसी सेना पहले से ही यूक्रेन के विभिन्न शहरों को तबाह कर उनपर नियंत्रण का सैन्य अभियान तेजी से छेड़े हुई हैं. देखने वाली बात यह होगी की बेलारूस की सीमा पर यूक्रेन-रूस की बातचीत क्या रंग लाती है.