- रेतीली पगडंडियों को पार कर राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर गतिमान हुई अहिंसा यात्रा
- संसारपक्ष के अपने कुलदेवी के स्थान में पधारे आचार्यश्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
- शांतिदूत ने दी तत्त्वपरक और निर्मल भक्ति की दी पावन प्रेरणा
22.02.2022, मंगलवार, फतेहपुर शेखावटी, सीकर (राजस्थान)। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रूपी ज्योति लेकर मानव-मानव के मानस के परिवर्तन को निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, महातपस्वी, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग मंगलवार को फतेहपुर शेखावटी स्थित शक्ति माता मंदिर में पधारे। अपने आराध्य के अपने नगर में दर्शन प्राप्त कर फतेहपुरवासियों का उत्साह अपने चरम पर था तो वहीं आचार्यश्री अपने संसारपक्ष के दूगड़ कुल के कुलदेवी के मंदिर में पदार्पण को लेकर भी लोगों का उत्साह अपने चरम पर था।
मंगलवार को प्रातः आचार्यश्री ने अपनी धवल सेना संग करंगा छोटा से मंगल प्रस्थान किया तो कुछ समय पश्चात ही आचार्यश्री रेतीली पगडंडी से निकल कर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 पर पधार गए। आचार्य महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के पश्चात पहली बार अपने आराध्य के आगमन को लेकर फतेहपुरवासियामें विशेष उत्साह देखने को मिल रहा था। लगभग तेरह किलोमीटर का विहार सुसम्पन्न कर आचार्यश्री लगभग ग्यारह बजे शक्ति माता मंदिर में पधारे तो फतेहपुरवासियों ने अपने आराध्य का भव्य स्वागत किया। आचार्यश्री ने अपने संसारपक्ष की कुलदेवी के मंदिर का अवलोकन करने के बाद मंदिर परिसर में बने अतिथि गृह में पधारे।
मंदिर परिसर में आयोजित मुख्य प्रवचन में आचार्यश्री ने समुपस्थित जनसमूह को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि नमस्कार महामंत्र में अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय समस्त चारित्रात्माओं को नमस्कार किया गया है। दुनिया में भक्ति की बात भी होती है। भक्ति आत्मिक रूप से हो, निर्मल हो तो कल्याणकारी हो सकती है। भक्ति को दो प्रकार से देखा जा सकता है। पहली भक्ति व्यक्तिपरक भक्ति होती है। दूसरी भक्ति आदर्श और तत्त्वपरक होती है। भगवान महावीर, आचार्य भिक्षु और अपने आचार्यों तथा वर्तमान गुरु के प्रति भक्ति व्यक्तिपरक भक्ति के अंतर्गत आते हैं। यथार्थ के प्रति भक्ति, सत्य के प्रति भक्ति, नैतिकता के प्रति भक्ति, ईमानदारी के प्रति भक्ति आदर्श और तत्त्वपरक भक्ति होती है।
आदमी की आन्तरिक भक्ति देव, गुरु और धर्म के प्रति बनी रहे। भक्ति निर्मल रहे तो शक्ति का भी विकास हो सकता है। आदमी ईमानदारी के प्रति भक्ति रखे। थोड़ी कठिनाई भले आए, किन्तु ईमानदारी के प्रति ऐसी भक्ति बनी रहे। आचार्यश्री ने शक्ति माता मंदिर में पदार्पण के संदर्भ में कहा कि आज हमारा फतेहपुर के पास स्थित इस शक्ति माता मंदिर में पधारना हुआ है। यह दुगड़कुल की कुलदेवी का मंदिर है। संसारपक्ष में मैं दुगड़ कुल से हूं। वर्तमान में मंदिर नए रूप में भी नजर आ रहा है। फतेहपुर के लोगों में भी सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की भावना का विकास हो। धार्मिक-आध्यात्मिक प्रगति होती रहे।
आचार्यश्री के स्वागत में फतेहपुर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री सुबोध दुगड़, स्वागताध्यक्ष श्री केशीमल दुगड़ ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया।
अहिंसा यात्रा पथ में परिवर्तन की सूचना
परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा के पथ में अपेक्षित परिवर्तन किया गया है। परिवर्तित कार्यक्रमानुसार आचार्यप्रवर रामगढ़, रतननगर और चूरू का स्पर्श करते हुए शीघ्र दिल्ली की ओर पधारेंगे। इस क्रम में आचार्यप्रवर का मार्च के प्रथम सप्ताह में दिल्ली पदार्पण हो सकता है।