उदयपुर। देश जैन कवि एवं साहित्यकारों की प्रतिनिधि संस्था जैन कवि संगम का द्वितीय राष्ट्रीय अधिवेशन मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित केशरियानाथ-माणिभद्रवीर यक्षराज तीर्थधाम पर 20-21 नवम्बर को विविध साहित्यिक अनुष्ठानों के साथ संपन्न हुआ। देश भर से आए कवि-साहित्यकारों के काव्यानुष्ठान का प्रारंभ 20 नवम्बर को हुआ। सुबह 10 बजे बैंड-बाजों, ढोल-नगाड़ों केशरियानाथ जिनालय में सामूहिक चैत्यवंदन किया गया । तत्पश्चात् प्रकट प्रभावी माणिभद्रवीर जिनालय में मंत्रोच्चार के साथ सुखड़ी अर्पण की गई। अधिवेशन के प्रथम सत्र में मां सरस्वती को अतिथियों की ओर से दीप प्रज्ज्वलन माल्यार्पण कर किया गया । अधिवेशन के मुख्य संयोजक जगदीप जैन हर्षदर्शी ने देशभर से आए कवि-साहित्यकारों का जैन कवि संगम की ओर से स्वागत अभिनन्दन किया । राकेश राकेन्दु गुरु वंदना एवं शालू जैन ने पंचपरमेष्ठी वंदना की। समारोह के मुख्य अतिथि श्रेष्ठीवर्य राजेन्द्र कांठेड़ एवं विशेष अतिथि कवि हेमंत श्रीमाल व राकेश राकेन्दु का माला, नवकार उपरणा व तिलक लगाकर स्वागत जैन कवि संगम के संस्थापक अध्यक्ष नरेन्द्रपाल जैन एवं संरक्षक जगदीप जैन हर्षदशी ने किया।
इस सत्र का काव्यमयी संचालन करते हुए हर्षदर्शी ने अपने स्वागत उदबोधन में कहा कि विश्व में जिनशासन ही एक ऐसा शासन है, जिसमें साधक साधना और आराधना के बल पर आत्मा से महात्मा और महात्मा से परमात्मा बन सकता है। जैन कवि संगम एक साहित्यिक मिशन है । जो जैन समाज की साहित्यिक एवं काव्य साधक प्रतिभाओं को प्रोत्साहन, प्रतिष्ठा के साथ काव्य-मंचों पर प्रतिभानुसार मंच सहभागिता के अवसर दिलवाने का महनीय प्रयास कर रहा है । समारोह के मुख्य अतिथि राजेन्द्र कांठेड़ ने अपने उदबोधन में जैन कवि संगम की गतिविधियों की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि जैन कवि एवं साहित्यकार अपनी लेखनी के माध्यम से जैन सिद्धांतों को जन-जन में पहुंचाने का जो कार्य कर रहे हैं, इसमें जैन कवि संगम एक सेतू बनकर अपनी अहम् भूमिका निभा रहा है। संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेन्द्रपाल जैन ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया । सन् 2019 से अब तक जैन कवि संगम के माध्यम से हुए साहित्यिक एवं जनकल्याणकारी कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि जैन कवियों-साहित्यकारों को काव्यमंच प्रदान करने के साथ काव्य की विविध विधाओं का ज्ञानार्जन करने का बहुत बड़ा कार्य किया है। कोरोना काल में वंचितों की हरसंभव मदद आदि सेवा के कई कार्य किए हैं। इस अवसर पर सेवा-पुरस्कार धर्मेन्द्र बम, सतीश नवल, धर्मेन्द्र लवली, अलका शरर, अभिषेक जैन, अरिहंत नमन, ऋषभ जैन को प्रदान किए गए।
विशेष अतिथि वरिष्ठ राष्ट्रीय गीतकार हेमन्त श्रीमाल ने इस काव्यानुष्ठान का आयोजन उज्जैन में करने के लिए जैन कवि संगम का धन्यवाद देते हुए कहा कि जैन शब्द-साधकों की ओर से देश और समाज को दिशा देना एक बहुत ही अनुकरणीय एवं अनुमोदनीय कार्य है । उन्होंने अपने मधुर कंठ से गीत गंगा बहाते हुए सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जैन कवि संगम का वरिष्ठ कवि सम्मान राजेन्द्र कांठेड़ एवं कविवर हेमन्त श्रीमाल को माला, शॉल, नवकार-उपरणा, मेवाड़ी पगड़ी, जैन कवि संगम का प्रतीक चिह्न नरेन्द्रपाल जैन, राकेश राकेन्द्र एवं जगदीप हर्षदर्शी की ओर से किया गया । केशरियानाथ-माणिभद्रवीर ट्रस्ट की ओर सभी कवियों का माणिभद्र जैन पंचांग एवं इतिहास पुस्तिका प्रदान करते हुए तिलक लगाकर अभिनन्दन किया गया।
रात्रि में विराट कवि सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें कवियों ने रात्रि 3 बजे तक विविध विधाओं में एक से बढ़कर एक कविताएं एवं गीत सुनाए । देश भर से आए कवियों का जैन कवि संगम की ओर से प्रतीक-चिह्न, माला, नवकार उपरणा प्रदान कर सारस्वत-सम्मान किया गया। कवि सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया के छगनलाल मुथा की शुभकामना के साथ जैन कवि संगम पर लिखे गीत का वीडियो प्रसारित किया गया। 21 नवम्बर को अधिवेशन के अंतिम सत्र में भावी योजनाओं को लेकर विचार-विमर्श बनाकर कार्य योजना बनाई गई। इस काव्यानुष्ठान में केशरियानाथ-माणिभद्रवीर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुभाष दुग्गड़, दिनेश जैन, श्रीपाल जैन, हितेश जैन एवं संस्था के सदस्य निर्मल जैन नीर, उमेश जैन रचित का विशेष सहयोग रहा। जैन कवि संगम के संस्थापक-अध्यक्ष नरेन्द्रपाल जैन एवं मुख्य संयोजक जगदीप जैन “हर्षदर्शी” ने सभी का इस अधिवेशन को सफल बनाने के लिए अन्तर्मन से आभार व्यक्त किया।
उज्जैन में जैन कवि संगम का द्वितीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न
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