नई दिल्ली:जलवायु परिवर्तन इंसानी जिंदगी के हर पहलू के लिए खतरा बन चुका है। लेकिन, नेचर पत्रिका ने वैश्विक अध्ययन के आधार पर खुलासा किया है कि दुनिया के कुछ शक्तिशाली समूह लोगों के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि मानवीय गतिविधियों और क्रियाकलापों से जलवायु परिवर्तन जैसा कुछ नहीं होता है। वैश्विक तापमान में वृद्धि एक प्राकृतिक चक्र का परिणाम है। निष्कर्ष हमेशा सही नहीं होते। इसके लिए वे न्यू मीडिया का सहारा ले रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन से जुड़े झूठों का खुलासा करने के लिए शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिए जलवायु दावों के विस्तृत श्रृंखलाओं की पहचान की। इससे पता चला कि दुनिया के शक्तिशाली हित समूह जलवायु कार्रवाई में देरी करने का प्रयास कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने साल 1998 से लेकर वर्ष 2020 के बीच जलवायु परिवर्तन के दावों को नकारने वाले 33 प्रमुख ब्लॉग और 20 रूढ़िवादी थिंक-टैंक की पड़ताल की। दावा है कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित यह अब तक के विरोधाभासी दावों का सबसे बड़ा सामग्री विश्लेषण है। इस बाबत मोनाश विश्वविद्यालय में संचार अनुसंधान केंद्र के पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फेलो जॉन कुक ने कहा कि विज्ञान से संबंधित मिथक वास्तव में जितने हैं, उससे कहीं ज्यादा प्रचलित हैं।
कौन झूठ फैला रहा
जीवाश्म ईंधन कंपनियों सहित दुनिया के कुछ शक्तिशाही धनवान हित समूह जलवायु कार्रवाई में देरी के स्पष्ट उद्देश्य के साथ गलत सूचना का प्रसार कर रहे हैं। सभी जलवायु गलत सूचनाओं का उद्देश्य जलवायु कार्रवाई में देरी करना है।
सभी प्रमुख दानदाता अमेरिकी
अनुसंधान से इस बात का भी पता लगता है कि जलवायु संबंधी गलत सूचनाओं के लिए पैसा कहां से आ रहा है। अनुसंधान द्वारा प्रकट किए गए सभी प्रमुख दाता अमेरिकी थे। इसमें प्रभावशाली दानदाता कैपिटल फंड, एक्सॉनमोबिल फाउंडेशन, कोच संबद्ध फाउंडेशन, निवेश फर्म वेंगार्ड द्वारा संचालित वेंगार्ड चैरिटेबल एंडोमेंट प्रोग्राम आदि शामिल हैं। वेंगार्ड चैरिटेबल एंडोमेंट प्रोग्राम को इस साल वैश्विक कोयला उद्योग में 86 अरब डॉलर के सबसे बड़े निवेशक होने का खुलासा किया गया था।
निष्कर्षों को महत्वपूर्ण अनुसंधान के साथ जोड़ना होगा
रिसर्च फेलो जॉन कुक कुक ने कहा कि जलवायु की गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए हमें अपने मशीन लर्निंग रिसर्च के निष्कर्षों को अन्य महत्वपूर्ण अनुसंधान के साथ जोड़ना होगा, जो भ्रामक बयानबाजी तकनीकों और प्रत्येक गलत सूचना के दावों में तार्किक भ्रम की पहचान करता है। अनुसंधान के इन दो अलग-अलग डेटा को एक ही निष्कर्ष में मिलाने से हम तथ्य-जांच के बहुत करीब आ जाएंगे।
जलवायु परिवर्तन से जुड़े पांच सबसे बड़े झूठ
1. ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन जैसा कुछ नहीं हो रहा है।
2. इंसान जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करता है, उससे जलवायु परिवर्तन पर कोई असर नहीं पड़ता।
3. वातावरण या पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव इतने ज्यादा बुरे नहीं हैं, जितने प्रचारित किए जाते हैं।
4. जलवायु प्रबंधन के तरीके कारगर नहीं होते।
5. जलवायु विज्ञान व जलवायु वैज्ञानिकों का भरोसा नहीं करना चाहिए। वे झूठ फैला रहे हैं।
मानव जीवन पर प्रभाव
1. तापमान बढ़ने के साथ तूफान, सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने की आशंका।
2. खाने-पीने के चीजों के अलावा बिजली-पानी के दाम बढ़ सकते हैं
3. दुर्घटना के लिए बीमे की कीमतें बढ़ सकती हैं
4. स्वास्थ्य प्रभावित होने से मेडिकल खर्च बढ़ सकता है
5. आर्थिक विकास धीमा रहने से बचत पर असर