लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में जमकर सरकारी धन की लूट की गई। अखिलेश यादव सरकार में 97 हजार करोड़ रुपया कहां पर खर्च किया गया है, इसका हिसाब ऑडिट एजेंसी कैग को नहीं मिला है। कैग को इन सभी खर्च के प्रमाणपत्र की जरूरत है।
प्रदेश में सरकारी धन के प्रयोग में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। सूबे में अखिलेश यादव के कार्यकाल के समय 97 हजार करोड़ की भारी धनराशि कहां-कहां और कैसे खर्च हुई, इसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। सूबे में अखिलेश यादव की सरकार ने 2014 से 31 मार्च 2017 के बीच हुए करीब ढाई लाख से ज्यादा कार्यों के उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया था।
इतने बड़े व्यय का कहीं कोई खिताब नहीं है। सबसे ज्यादा घपला समाज कल्याण, शिक्षा व पंचायतीराज विभाग में हुआ है। सिर्फ इन तीन विभागों में 25 से 26 हजार करोड़ रुपये कहां खर्च हुए, विभागीय अफसरों ने हिसाब-किताब की रिपोर्ट ही नहीं दी। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेसी कैग ने वित्तीय प्रबंधन में इस गड़बड़झाले की पोल खोलकर रख दी है।
वर्ष 2018 की अगस्त में आई रिपोर्ट नंबर एक में कैग ने इस पूरे गड़बड़झाले को उजागर किया है। कैग ने 31 मार्च 2017-18 तक यूपी में खर्च हुए बजट की जब जांच की तो पता चला कि बड़ा गड़बड़झाला है। सीएजी ने इस रिपोर्ट में कहा है कि धनराशि खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) उपलब्ध न होने से यूपी में बड़े पैमाने पर धनराशि के दुरुपयोग और खर्च में धोखाधड़ी की आशंका है।
कैग ने यूपी सरकार से कहा है कि वह वित्त विभाग विभाग को निर्देश जारी करें कि उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिए निश्चित डेडलाइन(समय-सीमा) तय करे। फिर उस अवधि तक हरहाल में उपयोगिता प्रमाणपत्र हासिल करे, जब तक उपयोगिता प्रमामपत्र न जारी हो, तब तक बजट की दूसरी किश्त न जारी हो।
सीएजी ने अगस्त में तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपी में धनराशि के उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने का मामला कई बार शासन के सामने लाया गया, मगर कोई सुधार नहीं हुआ है। गंभीर बात रही कि पिछली ग्रांट खर्च न करने और उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र न देने पर भी कई विभागों को बजट जारी कर दिया गया। नियम है कि बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त किए दूसरी किश्त की धनराशि नहीं दी जा सकती। करीब दो लाख 55 हजार उपयोगिता प्रमाणपत्रों के पेंडिंग होने पर सीएजी ने फंड के दुरुपयोग की आशंका जताई है।
प्रदेश में 2014-15 के बीच कुल 66861.14 करोड़ धनराशि 2.25 लाख उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा हुए। इसी तरह 2015-16 में 10223.77 करोड़ के 11335, 2016-17 में 20821.37 करोड़ के 18071 प्रमाणपत्र विभागों ने जमा ही नहीं किए। सबसे ज्यादा गड़बड़ी समाज कल्याण विभाग में देखने को मिली. समाज कल्याण विभाग ने 26 हजार 927 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र ही नहीं दिया है। इसी तरह पंचायतीराज विभाग में 25 हजार 490.95 करोड़, शिक्षा विभाग ने 25 हजार 693.52 करोड़ का हिसाब-किताब ही नहीं दिया है।
अखिलेश यादव सरकार में हुई 97 हजार करोड़ की लूट

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