नीरज राज, बस्ती (उ.प्र.)। जनपद में दलित, मूलनिवासी नेता भारत मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष आर के आरतियन के साथ कथित पुलिस की बर्बरता का मामला दिन-ब-दिन तूल पकड़ रहा है। अजय सिंह पर महिला कार्यकर्ताओं और आर के आरतियन के साथ गाली-गलौज, अभद्रता और मारपीट के गंभीर आरोप हैं। शिकायत करने और हजारों लोगों के प्रदर्शन के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अब आर के आरतियन ने 4 अक्टूबर को जिला अधिकारी कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन आमरण अनशन का ऐलान किया है, जिसमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, बहुजन मुक्ति पार्टी समेत कई सामाजिक-राजनीतिक संगठन उनके साथ खड़े होंगे।
क्या है पूरा मामला?
9 सितंबर 2025 को दोपहर में राम सुमेर यादव, जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला प्रभारी है उनके नेतृत्व में बस्ती में एक शांतिपूर्ण धरना चल रहा था। ये धरना लालगंज थाने के तहत 5 साल की मासूम सृष्टि गौतम के रेप और हत्या के मामले, नगर थाने में दर्ज हत्या के मुकदमे में पुलिस द्वारा आरोपियों को बचाने और गौर थाने में एक मुस्लिम लड़की की गुमशुदगी के मामले में पुलिस की लापरवाही के खिलाफ था। धरने में भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन मुक्ति पार्टी के लोगों का जाहिर समर्थन था इसमें पीड़ित परिवार और दूसरे संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे। आर के आरतियन ने बताया इस धरने के पूर्व जिला प्रशासन, एलआईयू और एसआईयू को पहले ही सूचना दी गई थी। धरना शांतिपूर्ण था। एलआईयू की टीम को बताया गया कि शाम 3 बजे ज्ञापन सौंपा जाएगा। लेकिन तभी सिविल लाइन चौकी इंचार्ज अजय सिंह फोर्स लेकर पहुंचे और धरने में शामिल लोगों को डराने-धमकाने लगे। गालियां दीं, माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। अचानक पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। आरोप है कि अजय सिंह ने महिलाओं के साथ बदतमीजी की, गालियां दीं, और इसका वीडियो-फोटो भी मौजूद है।
आर के आरतियन के साथ बर्बरता
आर के आरतियन ने बताया हिरासत में लिए गए लोगों में वो, राम सुमेर यादव, हृदय गौतम (मंडल अध्यक्ष, बहुजन मुक्ति पार्टी), बुद्धेश राना (जिला अध्यक्ष, बहुजन मुक्ति पार्टी), दयानिधि आनंद (पूर्व जिलाध्यक्ष, बीएमपी) समेत छह लोग थे। इन्हें कोतवाली की हवालात में बंद किया गया। सबसे चौंकाने वाली बात ये कि आर के आरतियन को अकेले एसएचओ ऑफिस बुलाया गया, जहां अजय सिंह ने उन्हें गालियां दीं और बेल्ट से हाथ-पैरों पर बेरहमी से पीटा। हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें दो लोगों के सहारे जिला अस्पताल ले जाना पड़ा। फिर एसडीएम के सामने पेश कर सिर्फ आरतियन को जेल भेज दिया गया। जेल में हालत और खराब हुई, तो फिर अस्पताल लाया गया। बाद में जेल के अस्पताल में डॉक्टर की निगरानी में रखा गया।
लोगों में गुस्सा, कोई कार्रवाई नहीं
जेल से छूटने के बाद आरतियन ने 17 सितंबर व 25 सितंबर को हजारों लोग सड़कों पर उतरे और ज्ञापन सौंपा, लेकिन पुलिस और प्रशासन खामोश है। सोशल मीडिया पर वीडियो और पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोग अजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा है दलित बच्ची के रेप-हत्या के मामले में धरने पर बैठे आर के आरतियन को अजय सिंह ने बुरी तरह पीटा। दोषी पुलिसवालों को सस्पेंड करो! यही मांग 17 और 25 सितंबर को भी प्रदर्शन कर रहे लोगो ने भी की।
4 अक्टूबर को आमरण अनशन
आर के आरतियन ने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर कहा, अजय सिंह का ये कृत्य गैर-कानूनी और गैर-संवैधानिक है। अगर कार्रवाई न हुई तो 4 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर आमरण अनशन शुरू करूंगा। कई संगठन मेरे साथ होंगे। अगर मेरे साथ कोई अनहोनी होती है, तो इसके जिम्मेदार अजय सिंह, उन्हें बचाने वाले और बस्ती पुलिस प्रशासन होगा। उन्होंने साफ किया कि उनका आंदोलन पूरी तरह संवैधानिक होगा।
क्या कह रहा समाज?
इस घटना से बस्ती का बहुजन समाज खासकर दलित और पिछड़ा वर्ग गुस्से में है। लोगों का कहना है कि पुलिस की मनमानी और आरोपियों को बचाने की आदत बंद होनी चाहिए। सूत्र बताते है कि अबकी बार लाखों लोगों का भीड़ जिलाधिकारी कार्यालय पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। सबकी नजर 4 अक्टूबर पर है। अगर प्रशासन ने अब भी कार्रवाई न की, तो ये मामला और बड़ा आंदोलन बन सकता है।
