लंदन: अफगानिस्तान के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श का दौर लगातार जारी है। यूरोपीय संघ ने साफ कर दिया है वो काबुल की तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं देगा। वहीं रूस, चीन और पाकिस्तान समेत कुछ दूसरे देश तालिबान के साथ आगे बढ़ने को राजी हैं। इसके अलावा अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के मुद्दे पर यूरोपीय संघ भी इस सप्ताह बात कर सकता है।
अधिकतर देशों का तालिबान से बात करने का मकसद केवल अपने नागरिकों को वहां से सकुशल बाहर निकालना है। इस बीच ब्रिटेन में मंगलवार को जी-7 देशों की भी बैठक होनी है। ये बैठक काफी अहम है। अहम इसलिए क्योंकि एक तरफ ब्रिटेन ने तालिबान के साथ आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं तो दूसरी तरफ तालिबान पर प्रतिबंध लगाने की भी बात कही जा रही है।
अमेरिका ने भी साफ कर दिया है कि वो इस विकल्प को भी इस्तेमाल कर सकता है। आपको बता दें कि आज होने वाली जी-7 की बैठक में बैठक में ब्रिटेन के अलावा अमेरिका, इटली, फ्रांस, जर्मनी, जापान और कनाडा के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये बैठक ब्रिटेन में ही हो रही है। रायटर्स के मुताबिक ब्रिटेन चाहता है कि तालिबान पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार करना चाहिए। इतना ही नहीं इस बात की भी पूरी संभावना जताई जा रही है कि यदि तालिबान ने अपनी कथनी और करनी में अंतर दिखाया या फिर वहां पर मानवाधिकार उल्लंघन किया और आतंकियों को पनाह दी तो उसको मानवीय आधार पर दी जाने वाली मदद को भी रोका जा सकता है।
दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि तालिबान से समझौते के बाद उन्होंने अमेरिकी सेना के जवानों पर हमला नहीं किया है। वहीं लोगों को एयरपोर्ट आने से भी वो किसी को नहीं रोक रहे हैं। अमेरिकी सेना ने ही काबुल हवाई अड्डे पर ही नियंत्रण बनाए हुए है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये साफ कर दिया कि ये उनके व्यवहार पर निर्भर करेगा। ब्रिटेन की बात करें तो बोरिस जानसन ने एक ट्वीट कर कहा कि अफगानिस्तान के मानवीय संकट को खत्म करने के लिए जरूरी है कि वहां से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर काम करे।
उन्होंने ये भी कहा है कि अफगानिस्तान में दो दशक में हुए विकास को खत्म नहीं किया जा सकता है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमनिक राब भी इस बात को कह चुके हैं कि तालिबान पर प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं। हालांकि कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि ये फिलहाल संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। बाइडन साफ कर चुके हैं कि जी-7 की बैठक में सभी देश एक सा ही रुख अपनाएंगे। ब्रिटेन तालिबान के मुद्दे पर जर्मनी, फ्रांस और इटली से बात कर चुका है।