मुंबई:पिछले दो वर्षों से बंद पड़ी और अपने समय में देश की शीर्ष विमानन कंपनियों में शामिल जेट एयरवेज एक बार फिर उड़ान भरने को तैयार है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही जेट एयरवेज के लिए जालान-कालरॉक कंसोर्टियम की समाधान योजना को मंजूरी दे दी है। कंपनी पर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था, जिसे समय पर चुकाने में विफल रहने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में कंपनी के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने दिवालिया प्रक्रिया की अनुमति मांगी थी। एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने मंगलवार को समाधान योजना को अनुमोदन देते हुए कहा है कि यह 90 दिनों के भीतर अमल में आ जानी चाहिए।
एक मौखिक आदेश में एनसीएलटी की पीठ ने यह भी कहा कि अगर कंसोर्टियम की योजना के क्रियान्वयन में और समय की जरूरत महसूस होती है, तो वह ट्रिब्यूनल में फिर से याचिका दायर कर सकता है। जहां तक जेट एयरवेज के पिछले स्लॉट (एयरपोर्ट्स पर आगमन और प्रस्थान का समय) फिर से मिलने या नहीं मिलने का सवाल है, तो एनसीएलटी ने कहा है कि वह इस बारे में कोई दिशानिर्देश नहीं दे रहा है। इस मामले पर सरकार और अधिकार-प्राप्त प्राधिकरण विचार करेंगे।
जानकारों का कहना है कि कंपनी के परिचालन शुरू करने की स्थिति में स्लॉट काफी महत्वपूर्ण होंगे। कंपनी को बंद होने से पहले जो स्लॉट हासिल थे, वे अब अन्य विमानन कंपनियों को वितरित कर दिए गए हैं।
जेट एयरवेज की समाधान प्रक्रिया पिछले दो वर्षों से चल रही है। इसका प्रबंधन रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल आशीष छाछडि़या के माध्यम से हो रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में सीओसी ने जेट एयरवेज के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित कारोबारी मुरारी लाल जालान और ब्रिटेन की कालरॉक कैपिटल के कंसोर्टियम की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद छाछडि़या ने एनसीएलटी से समाधान योजना की मंजूरी मांगते हुए कहा था कि कंपनी के लिए स्लॉट्स बेहद महत्वपूर्ण होंगे।
लिहाजा, नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और कॉरपोरेट मामले मंत्रालय (एमओसीए) इस पर अपना पक्ष रखें। लेकिन डीजीसीए और मंत्रालय ने संयुक्त हलफनामा में कहा कि जेट एयरवेज अपने पुराने स्लॉट्स मांगने की हकदार नहीं है। उसे स्लॉट्स का आवंटन इसके लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के आधार पर ही किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पांच मई, 1993 को एयर टैक्सी सेवा के साथ परिचालन शुरू करने वाली जेट एयरवेज को वर्ष 1995 में शेड्यूल्ड विमानन कंपनी का दर्जा हासिल हुआ था। कंपनी ने मार्च, 2004 में चेन्नई-कोलंबो मार्ग के साथ अंतरराष्ट्रीय परिचालन की शुरुआत की थी।