- केशकालवासियों पर हुई महातपस्वी की कृपा, दो दिन का मिला पावन प्रवास
- लगभग तीन किलोमीटर का रहा सान्ध्यकालीन विहार
बहीगांव, छत्तीसगढ़। जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसे क्षेत्र में गतिमान हैं, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। ऐसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपनी जनकल्याणकारी अहिंसा यात्रा के साथ आचार्यश्री महाश्रमणजी रविवार को प्रातः फरसगांव से प्रस्थित हुए। सुबह में हल्के ठंडे मौसम में आचार्यश्री की अहिंसा यात्रा आगे बढ़ी तो मार्ग में आने गांवों के ग्रामीणों ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। लोगों पर आशीर्वाद बरसाते हुए आचार्यश्री लगभग साढ़े दस किलोमीटर का विहार कर बहीगांव स्थित प्राथमिक प्राठशाला में पधारे तो पाठशाला के प्रधानाध्यापक धीनराम साहू ने स्वागत किया। आचार्यश्री के बहीगांव में पदार्पण को लेकर गांव में रहने वाले पांच तेरापंथी परिवारों में विशेष का उत्साह देखने को मिल रहा था। अपने आराध्य को अपने गांव में पाकर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था। श्रद्धालुओं के साथ बहीगांव के सरपंच खेतराम सिंह नेताम आदि अनेकों ग्रामीण भी आचार्यश्री के स्वागत में उपस्थित थे।
अपने प्रातःकालीन प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओें को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को कैसे बोलना चाहिए, इसका विवेक रखना चाहिए। वाणी सीमित हो, मीठी और दोषरहित हो तथा सोच-समझकर बोली जाए तो वाणी का अच्छा संयम हो सकता है। साधुओं को अपनी वाणी संयम का विशेष ध्यान रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी पहले सोचे फिर बोले। निराधार और अनपेक्षित नहीं बोलना चाहिए। हिंसात्मक अथवा कष्टप्रद भाषा से बचने का प्रयास करना चाहिए।
जन-जन पर कृपा करने वाले आचार्यश्री ने केशकालवासियों की प्रार्थना पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हुए अपने एकदिवसीय प्रवास के स्थान पर दो दिन का पावन प्रवास प्रदान किया। आचार्यश्री की इस कृपा से केशकाल का मानों जन-जन उत्साहित है। 1 व 2 फरवरी का आचार्यश्री के प्रवास वहां होगा। आचार्यश्री ने आज सायंकाल भी लगभग तीन किलोमीटर का विहार कर बेडमा में स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में पधारे। रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ।