इस्लामाबाद:इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पाकिस्तान की सरकार से कहा कि वो भारत सरकार से यह पूछे कि कुलभूष जाधव का केस वह लड़ना चाहती है या नहीं? हाईकोर्ट का यह आदेश आखिरी महीने में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी उस बयान के बाद आया है, जिसमें कानूनी कार्यवाही को लेकर भारत के रवैये पर सवाल उठाया गया था। बयान के मुताबिक, “भारतीय उच्चायोग के अपने कानूनी सलाहकार पर लगे कलंक के बाद यह स्पष्ट था कि भारत की सरकार जाधव केस से जुड़े कानूनी कार्यवाहियों से बचना चाहती है।”
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अतहर मिनल्लाह की अगुवाई में तीन जजों की शीर्ष बेंच कानून मंत्रालय की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को अमल में लाने के लिए कुलभूषण जाधव को वकील मुहैया कराने की बात कही गई है।
उल्लेखनीय है कि जासूसी और आतंकवाद में शामिल होने के आरोप में भारतीय नौसेना से अवकाश प्राप्त 50 वर्षीय अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अदालत के फैसले और जाधव को राजनयिक संपर्क देने से इनकार करने के खिलाफ वर्ष 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने और सजा देने के फैसले की प्रभावी तरीके से समीक्षा करे और पुनर्विचार करे। इसके साथ ही अदालत ने भारत को बिना देरी जाधव तक राजनयिक पहुंच देने का आदेश दिया।