इलाहाबाद:संतों की बहुप्रतीक्षित मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बड़ी घोषणा की। कहा कि इलाहाबाद का नाम अब प्रयागराज किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने शनिवार शाम इलाहाबाद में कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक के बाद यह घोषणा की।उन्होंने कहा कि संत लगातार इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग करने की मांग उठा रहे थे। मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा। बैठक की अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल रामनाईक ने भी इस पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है, उसे प्रयाग कहा जाता है। उत्तराखंड में देवप्रयाग, कर्णप्रयाग और विष्णुप्रयाग हैं। इलाहाबाद में देवभूमि से निकलने वाली दो पवित्र नदियों का संगम है, इसलिए इसे प्रयागराज कहा जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही औपचारिकताएं पूरी कर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर देगी।
सरस्वती कूप दर्शन भी कर सकेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालु संगम तट के किले में स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप का भी दर्शन कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने इससे पहले कुंभ के दौरान किए गए भारी भरकम इंतजाम की जानकारी विस्तार से दी। इससे पहले करीब दो घंटे राज्यपाल रामनाईक की अध्यक्षता में मार्गदर्शक मंडल की बैठक चली, जिसमें सदस्यों से सुझाव लिए गए। मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीबी भोसले, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री महंत हरिगिरि, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी और महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी भी मौजूद थीं।
नहीं बढ़ेगा रेलवे का सरचार्ज : सीएम
मुख्यमंत्री ने रेलमार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए भी बड़ी घोषणा की। रेलवे का सरचार्ज बढ़ाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई सरचार्ज नहीं बढ़ेगा। कुछ लोग इसका दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भव्य और दिव्य कुंभ के लिए जिस तरह से सफल तैयारी हो रही है। उससे कुछ लोग पीडि़त हैं। वही लोग ऐसा दुष्प्रचार कर रहे हैं।
अकबर ने रखा था नाम
मुगल सम्राट अकबर ने 1583 ईसवी में नगर का नामकरण प्रयाग से बदलकर अल्लाहाबाद किया था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय मध्यकालीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि अकबर 1573 ईसवी के आसपास यहां आया था। अपनी सल्तनत के विस्तार के तहत अकबर ने संगम तट पर किले का निर्माण कराया। संगम के पूर्वी छोर पर किले का निर्माण उस समय के जल मार्ग द्वारा व्यापार की सुविधा को सुगम बनाने के लिए किया गया था। यहां से बंगाल और दूसरे सूबे तक व्यापार आसानी से किया जा सकता था। किला निर्माण के दौरान अकबर ने अपने प्रवास काल में नगर का नाम प्रयाग से बदलकर अल्लाहाबाद रख दिया था। इसे कालांतर में इलाहाबाद के नाम से
सीएम ने दिया था आश्वासन
इलाहाबाद का नाम फिर से प्रयागराज करने को लेकर कई बार ज्ञापन और मांग के बाद तत्कालीन डीएम इलाहाबाद संजय कुमार ने शासन को नाम बदलने का प्रस्ताव अपनी संस्तुति के साथ मंजूरी के लिये भेजा दिया था। उसी प्रस्ताव को अब मंजूरी मिल गई है। बता दें कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने सरकार बनने के बाद शुरुआती दिनो में जब सीएम योगी से लखनऊ में मुलाकात की थी तभी घोषणा कर दी थी कि सीएम ने नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है लेकिन पिछले दिनों इलाहाबाद आकर सीएम योगी को जब अखाड़ा परिषद ने उनका पुराना वादा याद दिलाया तो सीएम आधिकारिक घोषणा करने का आश्वासन दिया था।
प्रयाग के मायने
भाषाविद्-समीक्षक डॉ. पृथ्वीनाथ पाण्डेय के मुताबिक प्रयाग अथवा तीर्थराज प्रयाग के संबंध में पुराणों का मत है कि प्रयाग इसलिए कहा गया है कि वह समस्त तीर्थों में सर्वोत्तम और उत्कृष्ट तीर्थ है। देवताओं की यज्ञभूमि होने के कारण उसे प्रयाग कहा गया है। यज्ञादिक और दान-पुण्य के के सर्वथा उपयुक्त समझकर स्वयं विष्णु भगवान और त्रिलोकपति शंकर ने प्रयाग नाम दिया है। महाभारत के अनुशासनपर्व में कहा गया है कि माघ-मास में तीन करोड़ दस हजार तीर्थ प्रयाग में एकत्र होते हैं। प्रयाग शब्द की उत्पत्ति यज् धातु से है, जिसमें प्र उपसर्ग प्रकृष्ट, श्रेष्ठ तथा याग शब्दवाची है। इस संज्ञा के निर्वचन के विषय में महाभारत के पूर्वोक्त विचार का समर्थन अन्य ग्रंथों से भी होता है। ब्रह्मपुराण, मत्स्यपुराण में प्रयाग का वृहद् वर्णन है।
सीएम योगी की बड़ी घोषणाः अब इलाहाबाद का नाम होगा प्रयागराज

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