नई दिल्ली: गंगा को प्रदूषण-मुक्त बनाने की अब तक की सबसे बड़ी सरकारी योजना ‘नमामि गंगे’ अब और परवान चढ़ेगी। केंद्र ने गंगा नदी का ‘न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह’ (ई-फ्लो) निर्धारित कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब हर मौसम में गंगा नदी में पर्याप्त जल उपलब्ध रहेगा।
हर मौसम में बनाए रखा जाएगा गंगा में ‘न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह’
गंगा देश की पहली नदी है जिसका ‘ई-फ्लो’ निर्धारित किया गया है। इसके बाद यमुना सहित गंगा की अन्य सहायक नदियों का भी ‘ई-फ्लो’ तय किया जाएगा। पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने बुधवार को देव प्रयाग से हरिद्वार और हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा नदी का ई-फ्लो निर्धारित करने की अधिसूचना जारी कर दी गई।
ऊपरी गंगा नदी बेसिन में देवप्रयाग से लेकर हरिद्वार तक नवंबर से मार्च के दौरान औसत मासिक प्रवाह का कम से कम 20 प्रतिशत, अक्टूबर से अप्रैल-मई के दौरान 25 प्रतिशत और जून से सितंबर तक 30 प्रतिशत प्रवाह सुनिश्चित किया जाएगा। वहीं हरिद्वार से उन्नाव के बीच गंगा में पड़ने वाले चार बैराज- भीमगौड़ा, बिजनौर, नरौरा और कानपुर के लिए अक्टूबर से मई और जून से सितंबर की अवधि के लिए अलग-अलग ई-फ्लो तय किया गया है।
मसलन, हरिद्वार के निकट स्थित भीमगौड़ा बैराज से आगे अक्टूबर से मई के दौरान कम से कम 36 क्यूमेक (घनमीटर प्रति सेकेंड) और जून से सितंबर के दौरान 57 क्यूमेक जल गंगा नदी की धारा में बनाए रखना होगा। इसी तरह बिजनौर, नरौरा और कानपुर में अक्टूबर से मई के दौरान कम से कम 24 क्यूमेक और जून से सितंबर के दौरान 48 क्यूमेक जल गंगा नदी में बनाए रखना होगा।
ई-फ्लो तय करने की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि भीमगौड़ा, बिजनौर, नरौरा और कानपुर बैराज से बड़ी मात्रा में गंगा जल सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं के लिए निकाल लिया जाता है। इसके चलते डाउनस्ट्रीम जल उपलब्धता कम हो जाती है।
ई-फ्लो संबंधी मानकों का पालन मौजूदा सरकारी-गैर सरकारी, निर्माणाधीन और भविष्य में बनने वाली परियोजनाओं को करना होगा। इसके लिए उन्हें ऐसे उपकरण लगाने होंगे जिससे कि प्रवाह का सटीक आकलन हो सके। इसकी सूचना उन्हें केंद्रीय जल आयोग को भेजनी होगी।
हालांकि जो मौजूदा परियोजनाएं फिलहाल ई-फ्लो मानकों का पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें तीन साल का समय दिया जाएगा। लघु और सूक्ष्म परियोजनाओं इन मानकों के पालन से से छूट दी गयी है। नदी में ई-फ्लो के मानकों के अनुरूप जल प्रवाहित किया जा रहा है या नहीं इसकी हर घंटे निगरानी की जाएगी।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ई-फ्लो की अधिसूचना जारी होना महत्वपूर्ण कदम है। उनका मंत्रालय जल्द ही गंगा के लिए कानून बनाने को एक विधेयक का मसौदा कैबिनेट के पास ले जाएगा। फिलहाल इस मसौदे पर विभिन्न मंत्रालयों ने राय दे दी है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि गंगा नदी में विशेष मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त जल को जारी करने का निर्देश दे सकेगी।
गंगा के अविरल प्रवाह के लिए जारी अधिसूचना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हुए गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह बहुत ही सकारात्मक कदम है। उन्होंने गंगा नदी के लिए कानून बनाने की दिशा में सरकार के कदम का भी स्वागत किया।
गंगा नदी पर आइआइटी कंसोर्टियम के प्रमुख और आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर विनोद तारे ने सरकार के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि नदियों का ई-फ्लो तय करने का विचार भारत में अभी नया है। अब दूसरी नदियों के लिए भी यह तय किया जाएगा।
गंगा को प्रदूषण-मुक्त बनाने के लिए सरकार ने पहली बार तय किया ‘ई-फ्लो’
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