नई दिल्ली:जलवायु खतरों का प्रकोप कई रूपों में सामने आ रहा है। सिर्फ गर्मी के महीनों में ही तपन नहीं बढ़ रही बल्कि अपेक्षाकृत सितंबर का कम गर्म माना जाने वाला महीना भी ज्यादा गर्म हो रहा है। बीता सितंबर दुनिया का अब तक का सबसे गर्म सितंबर पाया गया है। ऐसा रुझान पूरी दुनिया में देखा गया है। यह सामान्य से 0.63 डिग्री ज्यादा गर्म रिकार्ड किया गया है। इसका असर आर्कटिक तक पढ़ा है। जहां सितंबर में बड़ी मात्रा में बर्फ पिघली है।
यूरोपीयन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्ट (ईसीएमडब्यूएफ) की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। ईसीएमडब्ल्यूएफ के नतीजों के आधार पर कॉपरनिकस क्लाई चेंज सर्विसेज (सीथ्रीएस) ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि 2020 अब तक का सबसे गर्म सितंबर है। यदि 2019 के सितंबर से तुलना करें तो भी यह आधा डिग्री ज्यादा गर्म रहा है।
इस अध्ययन में 1981-2010 तक के दुनिया भर के मौसम के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि सितंबर के गर्म होना रुझान 1995 के बाद देखा गया है तथा तब से लगातार सितंबर का तापमान साल दर साल बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे यूरोप में सितंबर के औसत तापमान में 2018 की तुलना में 0.2 डिग्री की बढ़ोत्तरी रिकार्ड की गई है। इसके लिए ला नीना प्रभावों को भी जिम्मेदार माना गया है। इसके चलते गर्म हवाओं का प्रवाह बढ़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबेरियन आर्कटिक क्षेत्र में भी तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सितंबर के ज्यादा गर्म रहने के कारण आर्कटिक सागर में बर्फ तेजी से पिघली है। इसमें 40 फीसदी तक की कमी आई है। बर्फ में कमी का यह दूसरा मौका है। 2010 के आसपास एक बार यह कमी 50 फीसदी तक पहुंच गई थी। लेकिन तब यह कमी जून एवं जुलाई की गर्मी से हुई थी। लेकिन इस बार सितंबर की गर्मी से यह असर हुआ है।