राकेश तिवारी।।
जो लोग कालसर्प दोष, पितृ दोष, देवदोष, ऋणदोष, मंगल दोष सहित कुंडली के किसी भी ऋण-दोष से प्रभावित हैं। वे अपने पितरों की शांति सुनिश्चित करें। पितरो को शांति दिलाना आपका कर्तव्य है। एक परम्परा है और बहुत से लोग पूछते भी हैं कि श्राद्ध पक्ष में ज्योतिषीय उपाय हो सकते हैं क्या? ये तो मैंने पहले भी लिखा है कि जितने भी कुंडली में दोष होते हैं वो एक तरह से पितृ दोष ही होते हैं, उनमे कुछ स्वयं के पूर्व जन्म के दोष भी होते हैं। बिना लेन देन चुकाने के धरती पर जीव का आना मुश्किल है लेकिन पितृ पक्ष में उपाय किये जा सकते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद भी सम्मलित होता है इसलिये मेरे ख्याल से कोई परहेज नहीं है बाकी तो कर्मकांड करने वाले ब्राह्मण देव ज्यादा बेहतर बता सकते हैं।
परंतु कई लोगों के एक से एक बेहतर उपाय दान धर्म करने के बाद भी फायदा नहीं होता तो तो ऐसा क्यों? इसे ऐसे समझ कर चले कि घर के कुल देवता रुष्ट है क्योंकि दैवीय शक्तियो को ख़ुश किये बिना इंसान के वश में नहीं कि वो समाधान कर दें ओर आज के दौर में अपने पूर्वजों द्वारा पूजित देवताओं का बहुत से लोगों को ध्यान भी नहीं रहता बल्कि अपने मन से श्रद्धा से वो किसी भी देवता को अपना इष्ट बना लेते हैं। वो भी नुकसान कर देते हैं कई बार, क्योंकि सीधी सी बात है कि अपने घर के बुजुर्ग को न पूछ कर अगर पड़ोस में या दूसरी जगह पूछेंगे उनको सम्मान देंगे तो जो घर के बुजुर्ग है उनकी नाराजगी स्वभाविक होगी ही। कुल देवता हमारे बुजुर्ग ही हैं अगर पता न हो तो पिता दादा चाचा ताया माता से पूछें कुल देव का फिर मनाये।
दूसरी बात पितरों की पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि घर में बिल्कुल न करें न ही घर में पितरों के फोटो आदि रखें। इससे पितरो की एनर्जी घर में रिकॉल हो जाती है। जिससे वे अनजाने ही वापस खिंचे चले आते हैं। ऐसा करना पितरों के शांति और मोक्ष(गति) में रूकावट पैदा करता है।
इसी कारण शास्त्रों में कहा गया है कि घर के भीतर काले तिल युक्त तर्पण नही किया जाना चाहिये। ये कलह, आर्थिक संकट और अनचाहे दुखों का कारण बनता है। तर्पण, श्राद्ध आदि श्रद्धा का विषय है न कि सुविधा का।
इसलिये इसे सम्पन्न करने में अपनी सुविधा न ढ़ूंढें। उन कर्मकांडियों से बचें जो अपनी या आपकी सुविधा के मद्देनजर घर में पितृ पूजा की सलाह देते हैं। श्राद्ध, तर्पण सहित सभी तरह की पितृ पूजा तीर्थों या जलासयों या पुराने पेड़ों या एकांत स्थानों पर ही किया जाना चाहिये।
एनर्जी के संदर्भ में पितृ का अर्थ है डी.एन.ए. की भटकी उर्जा पितृ एक भटका हुआ आभामंडल होता है। अगर इसे उपयुक्त मात्रा में ऊर्जा ही प्राप्त हो जाए तो वह अपने गंतव्य तक पहुंच सकता है। ऊर्जा विज्ञान के अंदर पितरों को गति देने के लिए बहुत ही सरल विधान है। औरिक तर्पण।
औरिक तर्पण के जरिए पितरों को सीधे-सीधे बिना किसी मिलावट के अतरिक्त उर्जाये प्रदान कर दी जाती है जिससे वह आगे की यात्रा को प्राप्त होते हैं। पितरों के शांति के औरिक तर्पण की विधि यहां दी जा रही है इसे अपना कर अपने पितरों को संतुष्ट करें।
ओरिक तर्पण विधि:-
पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसान पर आराम से बैठ जाये और अपने हाथो को 21 बार रगडे,दोनों हाथों को दुआ मांगने की मुद्रा में उठाएं और भगवान शिव से प्रार्थना करे “हे शिव आप मेरे गुरू है मै आपका शिष्य हूं। मुझ शिष्य पर दया करे मै आपको साक्षी बनाकर अपने पितरों को शांति प्रदान के लिए औरिक अनुष्ठान करने जा रहा हूं। आप इसे स्वीकार करे और साकार करे। मेरे द्वारा किया जा रहा यह अनुष्ठान सफल हो इस हेतु आप मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें। फिर ब्रह्मांडीय ऊर्जाओ से कहे हे दिव्य ब्रह्मांडीय ऊर्जा आप मेरे हाथो मे पितरों को शांति प्रदान करने वाली दिव्य मोक्षकारी ऊर्जाए प्रदान करे, आपका धन्यवाद है। फिर अपने पितरों से आग्रह करे “हे मेरे समस्त ज्ञात अज्ञात पितृ आप जहाँ कही भी है वही से मेरे द्वारा प्रक्षेपित की जा रही ऊर्जाओ को अक्षय रूप में ग्रहण करे संतुष्ठ हो जाये और परम शांति को प्राप्त करे। और मुझे और मेरे कुल के सभी लोगो को दिव्य आशिर्वाद प्रदान करे।”
ध्यान रखे यहाँ पितरो को अपने पास आमंत्रित नहीं करना है। पितरो से प्रार्थना करनी है की वे जहाँ कही भी है वही से आपके द्वारा भेजी जा रही उर्जाओ को अक्षय रूप में ग्रहण करे और संतुष्ट हो जाये।
फिर 5 मिनट “ऊं नम: शिवाय:” मंत्र का जाप करे।
आपको हाथो मे भारी पन महसूस होने लगेगा। आप इन मोक्षकरी ऊर्जाओ को ब्रह्मांड में प्रक्षेपित कर दे। कहे “हे दिव्य मोक्षकारी उर्जायें मैं आपको ब्रह्मांड में प्रक्षेपित कर रहा हूं आप वहाँ जाकर अनंत गुना विस्तारित हो जाये और मेरे सभी ज्ञात अज्ञात पितरो के पास जाये और उन्हें संतुष्ट करें और उन्हें शांति और गति प्रदान करें। आपका धन्यवाद है।
उर्जाओं को ब्रह्मांड में प्रक्षेपित करने के लिए झटके के साथ दोनो हाथो को सिर के ऊपर से पीछे की तरफ उछाल दे।
औरिक तर्पण कोई भी (महिलाये भी) और कहीं पर भी कर सकता है। आप अपने घर में बैठ कर भी औरिक तर्पण कर सकते है। औरिक तर्पण पितरों को अतिरिक्त उर्जा देने का सटीक तरीका है। उसमें प्रेक्षेपित उर्जायें सीधे ब्रह्मांड में जाकर पूर्वजों को प्राप्त होती हैं।
वे संतुष्ट होकर परम् शांति को प्राप्त करते हैं। पितृ संतुष्ट हों तो आने वाली पीढ़ियों तक का सुख स्थापित हो जाता है। पितृ असंतुष्ट हो तो जन्मों जन्मों की पीड़ा उत्पन्न होती है। पूर्वजों के मोक्ष और वंशजों की समृद्धि के लिये सभी औरिक पितृ तर्पण जरूर करें।