हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 25 जुलाई 2020 को देशभर में नागपंचमी मनाई जाएगी। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। इस दौरान मंगल वश्चिक लग्न में होंगे खास संयोग यह है कि इसी दिन कल्कि भगवान की जयंती भी है और इसी दिन विनायक चतुर्थी व्रत का पारण होगा।
पंडित नीरज शास्त्री के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता के स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। इसके अलावा जिन जातकों पर काल सर्प का दोष है उनके लिए भी यह दिन बहुत अहम माना गया है।
मान्यता है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और काल सर्प दोष से ग्रसित जातकों को इस दोष से मुक्ति से मिलती है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें तो विशेष तौर पर नागपंचमी को विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
नाग पंचमी के देव
नागपंचमी पूजा और व्रत के आठ नाग देव माने गए हैं- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है। नागपंचमी पर वासुकि नाग, तक्षक नाग और शेषनाग की पूजा का विधान है। इस बार नागपंचमी श्रावण मास की 25 जुलाई शनिवार को मनाई जाएगी।
नागपंचमी का महत्व
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि सर्प ही धन की रक्षा करते हैं। इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है।
क्यों मनाया जाता है नागपंचमी का पर्व
नागपंचमी मनाने के पीछे मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अंतत: भगवान शिव ने उसे पी लिया। भगवान शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष की कुछ बूंदें नीचे गिरीं और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई. सर्पदंश से बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।