आमतौर पर लोग ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में अंतर नहीं कर पाते. कई बार लोग इनमें से एक में गड़बड़ी होने पर दूसरे को भी गड़बड़ मान लेते हैं. लिहाजा इन दोनों के मतलब और इनसे जुड़ी भ्रांतियां जानते हैं. हार्ट रेट से मतलब है दिल के एक मिनट में धड़कने की संख्या, जो कि शरीर की ऑक्सीजन का अवशोषण करने और कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन करने की आवश्यकता के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है. वयस्कों में हार्ट रेट 60 से 100 के बीच होनी चाहिए.
वहीं ब्लड प्रेशर से मतलब खून के रक्त वाहनियों में बहने के दौरान वाहनियों की दीवार पर डाले गए दबाव से है. एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का रक्तचाप 90 से 120 के बीच होता है.
इन दोनों से जुड़े मिथक
कई लोग समझते हैं कि अनियमित हृदय गति होने से जल्द ही दिल का दौरा पड़ सकता है. जबकि जब दिल असामान्य दर से धड़कता है, तो इसका मतलब है कि यह पैल्पिटेशन की स्थिति है. कई बार आपको अपने दिल की धड़कन तेज या धीमी होती महसूस हो सकती है. लेकिन ऐसा होना जीवन के लिए खतरनाक नहीं हैं. यह आमतौर पर कैफीन, शराब के सेवन, दवा, तनाव या व्यायाम के कारण होता है.
इसी तरह एक और भ्रांति है कि जब पल्स रेट तेज होती है, तो इसका मतलब है कि आप ज्यादा तनाव में हैं. तनाव के कारण हृदय गति बढ़ सकती है लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा हमेशा हो. कई बार तापमान बढ़ने या आर्द्रता ज्यादा होने से भी हार्ट रेट बढ़ सकती है.
हार्टरेट को रक्तचाप से जोड़ने की गलती न करें
सबसे चिंताजनक मिथक है कि सामान्य हृदय गति सामान्य रक्तचाप को दर्शाती है. जबकि ऐसा नहीं है. हार्ट रेट सामान्य होने का ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आपका रक्तचाप सामान्य है. लिहाजा इस मामले में कोताही न बरतें और समय-समय पर जांच कराते रहें. रक्तचाप की समस्या आजकल आम है और इसका सही समय पर इलाज न होना खतरनाक साबित हो सकता है.
जाहिर है जब इन दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, तो समझना भी गलत है कि हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर एक ही दर से बढ़ते और गिरते हैं.