वॉशिंगटन:अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने हांगकांग नीति को लेकर चीन के खिलाफ नए प्रतिबंधों को गुरुवार (2 जुलाई) को मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि चीन ने हाल ही में हांगकांग को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को मंजूरी प्रदान की है जिसकी अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने निंदा की है। इस कानून को अमलीजामा भी पहना दिया गया है।
प्रतिनिधि सभा की बैठक में सर्वसम्मति से पारित प्रतिबंधों में चीनी अधिकारियों के साथ व्यापार करने वाले बैंकों को दंडित करने का प्रावधान किया गया है। प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने कहा, “यह कानून हांगकांग के लोगों के खिलाफ एक क्रूर और व्यापक कार्रवाई है जिसका उद्देश्य उन स्वतंत्रताओं को नष्ट करना है जिनका वादा किया गया था।”
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजे जाने से पहले इस प्रस्ताव को सीनेट से मंजूरी लेनी होगी। आलोचकों का कहना है कि चीनी कानून ने वर्ष 1997 में ब्रिटिश शासन खत्म होने के दौरान लोगों को अगले 50 वर्षों तक आजादी देने की गारंटी को भी समाप्त करता है।
ब्रिटेन ने चीनी राजदूत को तलब कर हांगकांग के मुद्दे पर जताया विरोध
दूसरी ओर, ब्रिटेन ने हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मुद्दे पर चीन के राजदूत लियू शियाओ मिंग को तलब कर कड़ा विरोध जताया है। स्काई न्यूज ने बुधवार (1 जुलाई) को अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने लंदन में चीन के राजदूत को तलब किया। ब्रिटेन के उप विदेश मंत्री सिमोन मैक डोनाल्ड ने चीनी राजदूत से मुलाकात कर हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर कड़ा विरोध जताया।
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लागू किया गया कानून हांगकांग की स्वायत्तता को लेकर ब्रिटेन और चीन के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करता है। अमेरिका ने भी एक दिन पहले हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि वह चुपचाप नहीं बैठेगा और किसी भी परिस्थिति में चीन को हांगकांग पर मनमाना कानून लागू कर उसकी स्वतंत्रता का हनन नहीं करने देगा।