आदित्य तिक्कू।।
इस सृष्टि पर इंसान ही सर्वश्रेष्ठ है।यह गलत फहमी हमारी जितनी ही जल्दी खतम हो जाये उतना ही हमारे लिए अच्छा है।अन्यथा कोई नाम लेने वाला भी नहीं बचेगा,क्योकि यह बीमारी कोरोना वायरस संक्रमण से ज्यादा खतरनाक व विनाशकारी सिद्ध हो रही है।ऐसा ना हो जाये की कल सृष्टि के सारे प्राणी नफरत से कहने लग जाये इंसान कहीं का!
आये दिन इंसानो की अमानवीयता की खबरे आती रहती है।कभी कोई किसी पशु को छत से नीचे फेंक देता है तो कभी कोई संगठन सड़क पर गाय को काट कर जश्न मना के अपनी हीन सोच का परिचय दे देता है। हाल ही में केरल के पलक्कड़ जिले में एक गर्भवती हथिनी की मृत्यु,क्षमा चाहूंगा वह मृत्यु नहीं हत्या थी।इंसानो द्वारा निर्मित समाज की संवेदना और समझ को एक बार फिर कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
यह कैसे संभव है कि मनुष्य का साथी रहे हाथी का जीवन कुछ लोगों के लिए मनोरंजन का मामला हो जाए और वे अपना मन बहलाने के लिए उसकी जान के साथ खिलवाड़ करके उसके मरने का इंतजाम करे! केरल के पलक्कड़ शहर में जिस हथिनी की जान चली गई, उसने जंगल में विस्फोटक से भरा एक अनानास फल खिलाया था।वह फल हथिनी के मुंह में विस्फोट कर गया और उसका समूचा जबड़ा फट गया, उसके दांत भी बुरी तरह घायल हो गए । दर्द और जलन से छटपटाती हथिनी राहत की तलाश में एक नदी में जाकर खड़ी हो गई और वहीं तीन दिन तक खड़े-खड़े तड़पते हुए उसकी जान निकल गई। हथिनी गंभीर स्थिति में होने के बाद भी उसने यह सिद्ध कर दिया कि वह इंसानों की तरह क्रूर नहीं है बल्कि वह एक समझदार जानवर है।वरना वह तीन दिन तक नदी में खड़ी नहीं रहती,मौत के इंतज़ार में तिल -तिल मरने की जगह इंसानो की बस्ती को तहस-नहस कर देती, परंतु इंसानो के द्वारा विश्वासघात किये जाने के बाद भी हथिनी ने अपना जानवर पन नहीं छोड़ा।
हथिनी की सांस टूटने के बाद में जब पोस्टमार्टम के लिए उसे ले जाया गया तब पता चला कि उसके गर्भ में बच्चा पल रहा था । इस घटना का ब्यौरा निश्चित तौर पर किसी भी संवेदनशील जीव को दहला देने के लिए काफी था।यही वजह है कि देश भर में इस पर तीखी प्रतिक्रिया आई और हथिनी के हत्या के दोषियों को पकड़ा जाये और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। सोशल मीडिया और घर पर चर्चा की जा रही है कि इंसान को क्या होगया है? इंसान जानवर बनता जा रहा है,जबकि वास्तविकता यह है कि कभी किसी पशु ने स्वाद और सुख के लिए किसी की जान नहीं ली है।
भारत सरकार ने केरल के हाथियों को राष्ट्रीय धरोहर पशु घोषित किया है और इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक में सूचीबद्ध करके कानूनी सुरक्षा भी प्रदान की गई है। लेकिन व्यवहार में हाथी का शिकार करने वालों से लेकर आम लोग भी इन कानूनों का कितना ख्याल रखते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है।आखिरकार हम हाड़,मांस और स्वार्थ से बने इंसान है और वह जानवर, सोचिये नहीं शर्म कीजिये।