मैं मजदूर हूं, … और बहुत मजबूर भी !

मैं मजदूर हूं। हां मैं एक गांव का गरीब मजदूर हूं, लेकिन आज कोरोनावायरस और सरकार की बेरुखी के कारण मजबूर भी हूं। आप लोग रोज अख़बार या न्यूज चैनल देखते होंगे , मेरे हालात समझते होंगे। या न भी समझें तो थोड़ी दया तो आती होगी। कैसे हम लोग परिवार के साथ बड़े शहरों से अब गांव पैदल चल दिए। जिसमें अपनी बीवी और बच्चों के साथ कई किलोमीटर का सफर हम पैदल तय कर रहे हैं। बस हाथ में कुछ कपड़ों की पोटली या बैग, बगल में छोटे बच्चे को रखे हुए हैं। भूखे – प्यासे बस चले जा रहे हैं।
आखिर हम क्यों पैदल जा रहे है ?
क्या करें साहेब, काम नहीं होने की वजह से राशन और मकान का किराया कहां से लाएं ? एक या दो बार सिर्फ 5 किलो आटा, दाल से हम मजदूर महीने नहीं काट सकते हैं। बच्चों को भूख से मरता तो नहीं देख सकते हैं। यदि भगवान ने जीवन दिया है तो मरना निश्चित है। लेकिन बैठे-बैठे अपना और परिवार की मौत देखूं, ऐसी हिम्मत मैं अकेले शहर में नहीं कर सकता हूं। मजबूरी में कुछ कपड़े और सामान लेकर अपने गांव जाना पड़ रहा है। मेरी तरफ से कोई गुनाह या देशद्रोह नहीं है। पलायन से मेरी मौत गांव में होगी तो चार कंधे तो मिल जाएंगे। शहर में अपनापन तो नहीं है, दिखावा बहुत है। इसलिए पैदल निकल पड़ा अपने गांव के लिए, ताकि परिवार को सुरक्षित कर सकूं।
अब आप सोचते होंगे कि जब मोदी जी ने कहा मदद मिलेगी, फिर क्यों पलायन करना? इसका भी बड़ा ही मार्मिक चित्रण है। हम गरीब मजदूरों की मदद करके वाह – वाही लूटना नेताओं की पुरानी आदत है। कुछ नेता मास्क पहनकर आते हैं, राहत सामग्री की थैली देते वक्त फोटो खिंचवा लेते हैं। शायद उन्हें भी इससे आगे बड़े नेता बनने में मदद मिले।
मीडिया के लोग कैमरा लेकर आते हैं। कोई फोटो खींचता है तो कोई सवाल पूछता है। कोई वीडियो बनाता है। पत्रकार कहता है तुम्हारी आवाज़ सरकार तक पहुंचाएंगे। लेकिन आवाज़ पहुंचाकर भी क्या मेरी भूख और बेबसी कोई समझेगा ?
क्या इसमें भी मीडिया अपने चैनल की टीआरपी नहीं बढ़ते देखेगा या अख़बार अपने फोटो से संवेदना को बेचेगा। जो देखेगा उसका मन पसीज जाए,जरूरी तो नहीं। अब मीडिया हमारी न्यूज़ बनाकर झूठी संवेदना लेगी। घर बैठकर लोग बोलेंगे –
1. अरे ये मजदूर पागल है जो पैदल चल दिए ?
2. इन्हें क्या जरूरत है , लोकडाउन तोड़ने की ?
3. अच्छा है , मर जाए ।
4. गरीबों में अक्ल नहीं है।
5. हाय रे बेचारे मजदूर !
6. इनका क्या होगा भगवान ?
7. इन्हें राहत पैकेट दिया तो सही ।
8. ये गरीब और अनपढ़ है ,अक्ल नहीं
9. ये गरीब मजदूरों को समझने वाला कोई नहीं ?
10. न्यूज चैनल बंद कर दो, क्या मजदूरों को देखो?
इन सभी दसों बातों को आपके घर में भी बोला गया होगा। लेकिन क्या किसी ने भी हमारे लिए निस्वार्थ भाव से सरकार या नेताओ से संवेदना के लिए कुछ पूछा ?
1. क्या किसी ने भी सरकार या नेताओं,आला अफसरों से मेरी मौत के सफर का जिक्र किया ?
2. क्या किसी ने हमारी मदद दिल से करनी चाही?
3. क्या मदद के नाम पर फोटो या वीडियो बनाना ज्यादा जरूरी था ?
4. हमारे यानी मजदूरों के मौत के तांडव देख , किसी एक का भी दिल पसीजा है ?
5. क्या किसी संस्था या मीडिया ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है ?
6. क्या किसी ने भी हम मजदूरों का मकान किराया माफ किया ?
7. क्या किसी ने मेरे बच्चों को रोटी देना सेवा समझा?
नहीं साहेब, नहीं। कोई किसी की मदद बिना मतलब के नहीं करता है। सब कुछ स्वार्थ लेकर ही हमारे लिए थोड़ा करके ज्यादा बताते हैं। हम लाखों मजदूर हैं, लेकिन गरीब और मजबूर हैं। हमारे पास यदि खाना, छत, कपड़ा होता तो हम शहर आते ही क्यों? किसे अपनी मिट्टी छोड़कर प्रदूषण में रहकर काम करना अच्छा लगता है।
हम गरीब मजदूरों को तो भगवान भी सिर्फ कीड़े मकोड़े की तरह हमेशा मिटाता रहा है। हम गरीब मजदूर हमेशा प्राकृतिक आपदा झेलते हैं। जैसे बाढ़,तूफान, बारिश,गर्मी और ज्यादा ठंड। बाकी की कसर अब यह महामारी कोरोनावायरस और लोकडाउन ने निकाल दी है।
सच में साहेब, हम मजदूर बड़ी अच्छी किस्मत लेकर पैदा होते है। हमारे गांव में नीम और बरगद की छांव के साथ नदी और तालाब का पानी होता है। सुन्दर पहाड़ और ज्यादा लोग नहीं होते हैं। लेकिन कम पैसों में भी हम सुखी होते हैं। संतोष ही हमारा जीवन होता है। लेकिन गांव में जब खेती ना हो, प्राकृतिक आपदा आ जाए। तब मजदूरी के लिए शहर आना हमारी मजबूरी होती है। फिर हमारी बेटी की शादी, घर बनवाना भी जरूरी होता है। वरना कौन अपने लोगों को छोड़कर, अनजानों में रहना पसंद करेगा। सरकारी योजनाएं एवं सुविधा सिर्फ रजिस्टर तक सीमित रहती है। लाखों मजदूरों में 100-200 को लाभ देने से क्या फायदा होगा ? सभी नेता योजनाओं के नाम पर अपनी जेबें भरते हैं। कुछ को फायदा देकर फोटो और बड़ा तमगा लेते हैं।
ऐसे में जब शहर में महामारी आ जाए तो हम क्या करें? सरकारी महकमा सिर्फ रजिस्टर की पूर्ति करता है। वास्तविकता जमीनी स्तर पर कोई ठिकाना नहीं है।
साहेब आप भी हमारे पलायन की खबरें देखकर दुखी होते होंगे। शायद नहीं भी ? हम मजदूर तो अनपढ़ और गरीब होते हैं। लेकिन कर्मठ होते हैं, इसलिए गांव पैदल ही चल दिए। अब सरकार, पुलिस,आर्मी,और डॉक्टर हमें क्या मदद करेंगे? यह सब खुद ही मानवता का झूठा मुखौटा पहने हुए हैं। इसमें से कुछ को हम मजदूरों पर दया आ भी जाती है। और कुछ लाठियों से मारते हैं, अस्पताल में पैसा मांगते है।
अब आप ही बताएं साहेब, मैं मजदूर क्या करूं ? महामारी में क्यों पलायन ना करूं?
1. अपने परिवार को भूखा मारने के लिए शहर में छोड़ दूं?
2. भिखारियों की तरह राहत सामग्री लेकर फोटो खिंचवा लूं ?
3. नेताओं के तलवे चाटने की कोशिश करें?
4. झूठे मीडिया में बयान दूं ?
5. क्राइम करूं?
6. स्वाभिमान के साथ अपने गांव लौट जाऊं?
आप साहेब जी, यदि मेरी आपबीती समझ गए होंगे तो इतना समझ लीजिए। हम मजदूर गरीब हैं और मजबूर भी हैं। लेकिन हमारा स्वाभिमान और गांव के प्रति विश्वास आज भी जिंदा है। हम मजदूर नेताओं से ज्यादा अपने भगवान पर भरोसा रखते हैं। क्योंकि उसने पैदा किया है तो मुसीबत से निकलेगा भी वही। गांव में एक वक्त की रोटी भी मिली तो बहुत है। महामारी से मौत भी आती है तो गांव में चार कंधे और सुकून मिलेगा।
शहर में अमीरों की लाई गई महामारी में हम मजदूरों का क्या दोष है ? क्यों हमें अपने गांव जाने से रोका गया ? क्यों हमें झूठे वादे किए गए ?
मोदी जी देश को आत्मनिर्भर बनाने को बोलते है। मगर साहेब मोदी जी को यह नहीं मालूम कि , मजदूर हमेशा से ही आत्मनिर्भर है। वह खून पसीना बहाकर ही रोटी खाता है।
साहेब मेरी व्यथा सुनकर दुखी मत होना। हम ज़िन्दगी को बहुत मेहनत और ज़िंदादिली से जीते है। हर धर्म ग्रंथ में मेहनत और कर्मठ व्यक्तियों की प्रसंशा होती है।
मेहनत मजूरी करके खाते है, लेकिन हम देशद्रोही नहीं है। पलायन के लिए मजबुर है। साहेब पुलिस वालों को बोलो हमें गांव पैदल ही जाने दो । हमें दंडो से मत मारो। हम कोई चोर या अपराधी नहीं है। हम देश के गरीब मजदूर है, जो राष्ट्र निर्माण की नीव है।
हम मजदूरों को अपने गांव के घर शांति से जाने दो। हम आतंकवादी नहीं है ,जो किसी का नुक़सान करेंगे। मैं मजदूर हूं। मेरी पीढ़ा समझे और कृपा करके मुझे और परिवार को सकुशल घर जाने दें।
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एक मजदूर का मोदी जी को खत
माननीय मोदी जी ,
प्रधानमंत्री जी ,
सादर नमस्कार एवं चरण स्पर्श ,
मेरा नाम रत्ना चौहान है । मैं एक स्ट्रगलिंग फिल्म डायरेक्टर हूं। मैने आपको बहुत प्यार से वोट दिया था। लेकिन आज जो देश की हालत है उसने मुझे आपसे शिकायत करने पर मजबुर कर दिया है । आपको जनता ने दिल से प्यार किया है , आपकी सत्ता और गलत फैसले के कारण आज सभी जगह मौत का तांडव चल रहा है । आपसे इस तरह की गलती की उम्मीद नहीं थी।
राजनीति में आपने बहुत अच्छे काम किए ,लेकिन आपकी सरकार ने कोरोनावायरस में बिना सोचे समझे लॉकडाउन से कई लोगो की जान जा रही है । राजा को हमेशा जनता की फ़िक्र और सेवा होनी चाहिए।
आपकी गलतियों को कुछ बिंदु है ,जिन्हें आपको ठीक करना चाहिए ।
1. कोरोनावायरस में आपको बहुत पहले अंतरराष्ट्रीय यातायात सेवाए बंद कर देनी चाहिए थी ।
2. अपने लॉकडॉउन बिना कोई रूपरेखा के कर दिया।
3. अपने अचानक घोषणा कर दी की सब घर पर रहो , सुरक्षित रहो । लेकिन इस अचानक हुए बदलाव के लिए जनता की कोई तयारी नहीं थी। लोग भूखे मर रहे है । राशन की दुकान बंद है, सब्जी का कोई ठिकाना नहीं।
4. जनता को कोई सूचना नहीं दी गई कि आप ऐसा कोई कदम उठाने वाले हो। बस न्यूज चैनल में आप आकार बोल गए , lockdown
5. में एक हैल्थ चैनल में प्रोग्राम डायरेक्टर की पोस्ट पर थी, घर बैठकर कुछ काम कर रही थी। वह भी १ मई से उन्होंने भी काम बंद बोल दिया है। कब फिर से शुरू होगा ,पता नहीं । आर्थिक मंदी और परिवार का बोझ कैसे उठाए आप बताए ?
6. आपकी लापरवाही की वजह से देश की गरीब जनता मौत का तांडव देख रही है।
7. जब कोरोना वायरस के केस काम थे, तब आपको मजदूरों को ट्रेन और बस व्यवस्था करके घर भेज देना चाहिए था। आज जब भी न्यूज चैनल या अख़बार में उनकी फोटो या मौत की खबर देखती हूं,तो दिल रो उठता है।
8. मोदी जी में आपको एक मध्यम वर्गीय और जनता का दुख समझने वाला इंसान समझती थी। लेकिन आपको भी अब कुर्सी का मोह और राजनीति के कीचड ने गंदा कर ही दिया।
9. क्या कारण है कि आपको एक वायरस को भी हिन्दू मुस्लिम झगड़ा करवाने की दुकान खोलनी पड़ी ?
10. आखिर आपको सत्ता का मोह है या घमंड ,सब समझ नहीं आ रहा है । आप जनता को राहत पैकेज देकर भी ,कर्जा बोलते हो। उस पर भी ब्याज चाहिए। यह कैसा राहत पैकेज ?
11. आपको भारतीय इतिहास फिर पढ़ने की जरूरत है । क्योंकि आप राजनीति में जनता का सेवा धर्म भूल गए है। और जब जब राजा अपनी प्रजा को भूल जाता है , तब उस राजा का शासन ज्यादा दिन नहीं रहता है।
12. महाभारत और गीता का ज्ञान आपने कही दूर जाकर छोड़ आए हो। धर्म की राजनीति मत करिए। मानव सेवा को राजनीति में समावेश कीजिए।
13. आपको जनता अपना भगवान मान बैठी है , उस पदवी को लोगों की जान लेकर मत खराब कीजिए।
14. राजनीति में कई दशक बाद ऐसा प्रधानमंत्री आया है, जो दिल में बसता है। लेकिन पिछले ४ सालों में आपकी उपलब्धियां सिर्फ रजिस्टर तक सीमित है। आपकी सारी योजनाएं का धज्जियां आपकी ही पार्टी के नेता उड़ा रहे है। जमीनी स्तर पर कोई योजनाएं लागू नहीं हुई है। कुछ लोगों को फायदा देकर रजिस्टर भरे जा रहे है।
15. लॉक डाउन में सामानों की कालाबाजारी बढ़ी है। जिसकी शायद आपको कोई सूचना नहीं होगी।
16. मोदी जी आप और अमित शाह जी पर पूरी जनता आस लगाए बैठी रहती है। आप दोनों को सभी बहुत प्यार और इज्जत करते है। लेकिन ऐसा क्या हो गया ? की आप दोनों को जनता से मोह ख़तम हो गया ?
यदि कोई परेशानी है तो जनता से सीधे बात कीजिए। गलती हुई है तो माफी मांगने में कोई शर्म नहीं होती है।
17. आपसे अनुरोध है की हॉस्पिटल,डॉक्टर,नर्स,पुलिस,आर्मी ,सफाई कर्मी,मेडिकल स्टाफ की सैलरी टाइम पर दिलवाए। उनके साथ कुछ भी गलत होने पर कड़ी प्रतिक्रिया कीजिए।
18. जनता के बीच आपके पार्टी के नेताओ को भेजे मदद के लिए, ऐसे घर बैठकर कुछ नहीं होगा। ऐसे समय में आपके पार्टी के नेता सिर्फ राशन भिजवाकर इती श्री नहीं कर सकते है।
एक या दो बार गरीबों को राशन बाटकर फोटो खींची गई है। लोगो से उन्हें बात करने को बोलिए ।लोगो के दर्द को समझिए।
19. मोदी जी आपकी और अमित शाह की वजह से देश की जनता ने आपको सर आंखो पर बैठाया है। इस प्यार को समझे। उन्हें दिल खोलकर राहत पैकेज दीजिए।
20. गांवो में लघु उद्योग को जल्द खुलवाए ,तो मजदूर को काम मिलेगा।
21. देश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधार की बहुत जरूरत है। उदहारण के लिए हर गावं और शहर में ज्यादा मात्रा में सरकारी अस्पताल खुलवाए। मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेन्टर खोले। फार्मा कंपनियों को ज्यादा और जल्द खुलवाए।
22. आप विदेश घूमकर विदेशी मुद्रा का फायदा नहीं हुआ है ? जमीनी स्तर पर देश के लोगो को ही अपना हाथ दीजिए । देश की जनता आपको हर मदद करेगी ।
23. एक राजा को रंक बनते देर नहीं लगती है। लेकिन राजा अगर जनता के दर्द को नहीं समझेगा तो माफी भी नहीं मिलेगी। कोई आपको वोट नहीं देगा । ऐसे हालात मत होने दीजिए।
24. अर्थव्यवस्था को आप राजनीति का मोड़ मत दीजिए। आपकी पार्टी के नेताओं के बैंक अकाउंट्स से देश की मदद कीजिए। सच आपको खुद समझ आ जाएगा।
25. आपकी और अमित शाह जी की भलाई का फायदा आपकी पार्टी के कार्यकर्ता गलत रूप से उठा रहे है। मध्य प्रदेश में कोरोनावायरस के समय तख्ता पलट करना मूर्खता थी। शिवराज मामा से कुछ भी नहीं संभल रहा है। इस वजह से उनकी छवि जनता में और खराब हुई है।
26. मेरे पापा मुझे राजनीति के साम,दंड,भेद बताते थे। लेकिन उन्होंने हमेशा कहा है कि यह सभी जनता की भलाई के लिए होना जरूरी है।
27. पुलवामा अटैक में जो आपने आर्मी की मदद की ,सराहनीय है। इसमें मुझे राजनीति का ऐतिहासिक महत्व समझ आया।
28. ऐसे आपके सारे कार्य सराहनीय है। लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी जनता परेशान है। नोटेबंदी में मेरी नौकरी चली गई थी। मुझ जैसे कई लोग आपकी नोटबंदी से बेरोजगार हुए है।
इन बिंदुओं में आप इतना तो समझ गए होंगे ,की प्रधानमंत्री तक बेखौफ ये बातें कहना मेरे लिए मुश्किल नहीं है। मेरे पापा ने मुझे हमेशा सच बोलना सिखाया है, उन्होंने मुझे बहुत पहले आपकी राजनीति गलतियों के बारे में बोल दिया था। लेकिन आपसे मिलना मेरे लिए मुमकिन नहीं ,इसलिए आपको मेल कर रही हूं ।
मेरे हर बिंदु में जनता के हर व्यक्ति का दर्द है। यकीन ना हो तो जमीनी स्तर पर आप छानबीन कीजिए। सच आपके सामने होगा। तारीफ सब कर देंगे । लेकिन आपकी गलती बताकर ,उसका समाधान देना चाहती हूं।
आप और आपकी पार्टी राजनीति करती है। लेकिन मोदी जी हम राजपूतों के खून में राजनीति पुरखो से चली आ रही है। आप राजनीति पार्टी से पद लेकर राजनीति करते है। मैं राजनीति को सिर्फ सेवा मानती हूं।
अपनी सेहत का ध्यान रखिए। अमित शाह जी को भी सादर प्रणाम और चरण स्पर्श।
समय मिले तो जवाब मेरे बिंदुओ को समझने के बाद दीजिएगा।
आपके देश की एक होनहार, गांव की बेटी
– रत्ना चौहान

8 Comments

  1. Very well said Ratna ji …..bilkul sahi bate nidar ho kar likhi hai aapne ….iss mahamari me sabse jada taklif sirf or sirf bechare majduro ne hi zheli hai…..

  2. Bilkul sahi baat likhi.
    Sabko sochne par majbur kr diya.

  3. Great Ratna Mam,
    During this pandemic se fight kr rhe h … Har ek Majdoor insaan ki Reality btai h apne. Jo unke Mann ki baat ko appne …Apnee Kalam se … is baat ko sajha kiya …

    1. रचना ,हर्ष,और तरुण धन्यवाद ।
      तुम्हे मजदूरों कि तकलीफ समझ आयी ,यही मेरे लिए एक उपलब्धि है। मैं बस इतना चाहती हूं कि लोग उनकी तकलीफ समझ कर मदद करे। लेकिन लोग इसमें भी राजनीति कर रहे है ,वह गलत है।

      धन्यवाद।
      रत्ना चौहान

  4. Thanks to Dinesh Kumar ji for giving me a platform to write something about present situation of country.

  5. रचना धन्यवाद ।
    तुम्हे मजदूरों कि तकलीफ समझ आयी ,यही मेरे लिए एक उपलब्धि है। मैं बस इतना चाहती हूं कि लोग उनकी तकलीफ समझ कर मदद करे। लेकिन लोग इसमें भी राजनीति कर रहे है ,वह गलत है।

    धन्यवाद।
    रत्ना चौहान

  6. गरीब मज़दूरों की समस्या उठा कर बहुत अच्छा किया आपने। जिन लोगो को खाना और छत उपलब्ध है उनको वंचित वर्ग को भी न्याय मीले इसके लिए कार्य करना चाहिए।
    1947 से 2020 तक भारत के गरीब के लिए कोई लोकतंत्र नही है भारत मे। आज भी उनका शोषण साहूकार ,अधिकारी ,माफिया ,नेता ,उद्योग मालिक कर रहे है। हर प्रधानमंत्री कुर्सी मिलने के बाद सत्ता के महल में खो जाता है। सत्ता में जाने के बाद प्रधानमंत्री के नए चापलूस दोस्त ,अधिकारी उसे घेर लेते है। भारत मे गांधी का स्वराज और ग्रामोद्योग फेल हो गया है। भारत मे नेहरू का मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल भी बाजार की ताकतों ने ,पूंजीवाद ने फेल कर दिया है।
    ग्रामोद्योग ही भारत को सोने की चिड़िया बना सकता है। जिसमे हर हाथ को काम मिले।

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