कोविड-19 से पूरी दुनिया प्रभावित है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं का दावा है कि बच्चे व्यस्कों के मुकाबले कोरोना संक्रमण से जल्द ठीक होते हैं। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लेंसेंट के अध्ययन में यह सामने आया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बच्चे शीघ्रता से उबर रहे हैं। बच्चे महज एक या दो हफ्ते में ही स्वस्थ हुए हैं।
14 बच्चों पर किया गया अध्ययन :
लेंसेंट के अध्ययन निष्कर्षों से लगता है कि बच्चों में कोविड-19 के कम फैलने के प्रति संवेदनशीलता कम होना है। एक बाल चिकित्सा अस्पताल में तीन महीने से कम उम्र के 14 शिशुओं को भर्ती कराया गया था। क्वारंटाइन के पहले सप्ताह के दौरान इनमें से पांच बच्चों को स्वाब परीक्षण में पॉजिटिव पाया गया। उनके भर्ती होने तक मामूली बुखार के अलावा कोरोना के लक्षण नहीं थे। उन्हें गहन देखभाल की आवश्यकता नहीं थी।
व्यस्कों के अपेक्षा तेजी से आया सुधार :
चार बच्चों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखे लेकिन उनके परीक्षण नकारात्मक थे। उन्हें एसिटामिनोफेन के अलावा कोई दवा नहीं मिली। भर्ती होने के 1-3 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी। एक बाल रोग विशेषज्ञ ने लगातार दो सप्ताह तक उनकी निगरानी की। वहीं, जो पांच बच्चे पॉजिटिव पाए गए थे, वे उनके साथ भर्ती किए अन्य व्यस्कों के अपेक्षा तेजी से सुधार कर रहे थे। उन्हें दो सप्ताह बाद छुट्टी दे दी गई।
पूर्ववर्ती शोध भी यही कहते हैं :
हालिया सभी शोध-अध्ययन इशारा करते हैं कि बच्चों पर वयस्कों की तुलना में वायरस का असर कम होता है। साथ ही लक्षण भी कम नजर आते हैं। इससे पहले भी चीन और सिंगापुर के कुल 1,065 प्रतिभागियों पर किए गए 18 अध्ययनों के मूल्यांकन के आधार पर ऐसा ही निष्कर्ष निकाला गया था।
बच्चों के जल्द स्व्स्थ होने के कारण :
रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि सार्स-सीओवी-2 को शरीर में पहुंचकर सक्रिय होने के लिए एंजाइम एसीआई-2 की जरुरत होती है। बच्चों के फेफड़ों में एसीआई-2 उनके नाक, मुंह, गले के मुकाबले कम होता है। इसलिए वायरस बच्चों में यहीं असर करता है। बच्चों का शरीर खुद ही वायरस से लड़ने की क्षमता (साइटोकाइन स्टॉर्म) पैदा करता रहता है। इसलिए, वयस्कों की तुलना में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता, बेहतर होती है। ब्रिटेन की साउथ हैम्पटन यूनिवर्सिटी में बाल रोग के विशेषज्ञ ग्राहम रॉबर्ट्स के अनुसार कोविड-19 बच्चों के फेफड़ों में न जाकर ऊपरी हिस्सों यानी नाक, मुंह, गले तक ही सीमित रहता है।