पंकज श्रीवास्तव/पटना।। बिहार में कोरोना संक्रमण के लिए भारत-नेपाल पर तैनात एसएसबी ने समय रहते बिहार सरकार को एक पत्र के माध्यम से अलर्ट किया था, लेकिन सरकार ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। ये पत्र फिलहाल बिहार की राजनीति का नया तूफान बना है। नीतीश सरकार रक्षात्मक मुद्रा में है वही विपक्षी दल इस पर आक्रामक हैं। बताते चलें मार्च में ही SSB की तरफ से नेपाल से सटे बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को इस संबंध में अलर्ट जारी किया गया था। यह अलर्ट अवैध हथियारों की तस्करी में शामिल नेपाल निवासी जालिम मुखिया की गतिविधियों को लेकर था। पत्र के अनुसार जालिम मुखिया संदिग्ध कोरोना मरीजों (COVID-19) को भारत भेजने की तैयारी में है।
इस अलर्ट के बाद इस पर प्रशासन की तरफ से सीमा पर सख्ती नहीं की गयी, नतीजा कोरोना संदिग्धों का आना जारी रहा। अब विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने कहा कि अब तक सीमाओं को क्यों नहीं सील किया गया? कांग्रेसी नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि जब पंद्रह दिन पहले ही नेपाल से लगी सीमा को सील करने की बात कही गई थी तो फिर ऐसा क्यों नहीं हुआ? वहीं महागठबंधन में एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने भी इसी मुद्दे को अपने ढंग से उठाया है। आरएलएसपी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने सरकार से मांग की है कि बिहार सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले और भारत-नेपाल सीमा को पूरी तरह से सील करे।
इधर बिहार की प्रमुख विपक्षी दल राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह विषय काफी गंभीर और चुनौतीपूर्ण है। बिहार सरकार को इस मुद्दे पर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही वो अपने मुस्लिम प्रेम को जाहिर करते हुए जोड़ा है कि इस बात का भी खयाल रखने की जरूरत है कि वेवजह किसी खास संप्रदाय को परेशान न किया जाए। वही सत्ताधारी जदयू ने इस मामले में सख्त कदम उठाने की बात कही है। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि नेपाल से आने वाले लोगों की पूरी स्वास्थ्य जांच के बाद ही भारत की सीमा में प्रवेश करने की बात कही है।
अलर्ट के बावजूद बिहार-नेपाल सीमा सील ना करने पर सवालों के घेरे में नीतीश कुमार!
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