वेलिंगटन:टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने वेलिंगटन में मेजबान न्यूजीलैंड के खिलाफ मिली 10 विकेट से मिली हार के बाद टॉस हारने का जिक्र किया था। विराट ने तब कहा था कि पहले मैच में टॉस का रोल काफी अहम रहा था, लेकिन अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो रिकॉर्ड्स कुछ अलग ही कहानी बयां करते हैं। भारत ने न्यूजीलैंड में टेस्ट मैच में टॉस और मैच एकसाथ एक ही बार जीता है, जबकि चार बार जीत टीम इंडिया ने टॉस हारने के बाद दर्ज की है।
भारत वेलिंगटन में टॉस हार गया था और मैच भी गंवा बैठा था। पहली पारी में टीम इंडिया महज 165 रनों पर ऑलआउट हो गई थी। वहीं न्यूजीलैंड ने 348 रन बनाए थे और 183 रनों की बढ़त हासिल की थी। भारतीय टीम दूसरी पारी में 191 रनों पर ऑलआउट हो गई थी और न्यूजीलैंड ने 9 रन बनाकर 10 विकेट से जीत दर्ज की थी। कोहली ने मैच के बाद कहा था, ‘टॉस अहम साबित हुआ। इसके साथ ही हम बैटिंग यूनिट के रूप में प्रतिस्पर्धी होने पर गर्व करते हैं लेकिन यहां हमने पर्याप्त प्रतिस्पर्धा नहीं दिखाई।’ रिकॉर्ड्स की बात करें तो भारत ने अब तक न्यूजीलैंड में कुल 24 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से पांच में जीत दर्ज की जबकि नौ मैच उसने गंवाए हैं। बाकी दस मैच ड्रॉ पर खत्म हुए हैं।
चार बार टॉस हारकर भी भारत ने कीवी धरती पर जीता है टेस्ट
भारत ने न्यूजीलैंड में जो पांच मैच जीते हैं, उनमें से चार मैचों में उसने टॉस गंवाया था। न्यूजीलैंड में टॉस गंवाने पर भारतीय रिकॉर्ड 11 मैचों में चार जीत और चार हार का है, जबकि इसके उलट टॉस जीतने पर उसका रिकॉर्ड 13 मैचों में एक जीत और पांच हार का है। भारत ने पिछले 44 सालों में यानी 5 फरवरी 1976 से लेकर अब तक न्यूजीलैंड में 19 टेस्ट मैचों में केवल एक मैच जीता है जबकि आठ मैच उसने गंवाए हैं। इन 19 मैचों में से 12 मैच में भारत ने टॉस जीता था लेकिन उसे केवल एक मैच में जीत मिली।
क्राइस्टचर्च में टॉस जीतने पर विराट कर सकते हैं यह फैसला
यह मैच भारत ने हैमिल्टन में 2009 में जीता था जिसमें वर्तमान टीम के सदस्य इशांत शर्मा भी खेले थे। कोहली ने टॉस को अहम करार दिया। इसका मतलब, वो भी टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करना पसंद करते। भारतीय रिकॉर्ड भी कहता है कि उसके लिए न्यूजीलैंड में बाद में बल्लेबाजी करना अच्छा रहा है। भारत ने कीवी धरती पर 13 मैचों में पहले फील्डिंग की और इनमें से चार मैच में उसे जीत और इतने ही मैचों में हार मिली। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम केवल एक मैच जीत पाई और वो भी मार्च 1968 में। कोहली अगर इन परिस्थितियों पर गौर करते हैं तो फिर वो क्राइस्टचर्च में 29 फरवरी से शुरू होने वाले दूसरे और अंतिम टेस्ट मैच में टॉस जीतने पर पहले फील्डिंग का फैसला कर सकते हैं।