संत पंचमी और होली के बीच आने वाला फुलेरा दूज ऐसा त्योहार है जिसका हर पल शुभ माना जाता है। यह त्योहार पूरी तरह दोषमुक्त दिन माना जाता है। इस दिन कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। फुलेरा दूज वर्ष का अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। यह त्योहार श्रीराधा-कृष्ण को समर्पित है। वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए इस दिन श्रीराधा-कृष्ण की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन में साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का अंश होता है। इस दिन श्रीराधा-कृष्ण को सुगंधित फूलों से सजाएं। अबीर-गुलाल अर्पित करें। प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें। पूरे दिन मन में श्रीराधे-कृष्ण का जाप करें। इस त्योहार को फूलों का त्योहार भी कहा जाता है। फुलेरा दूज के दिन से ही लोग होली के त्योहार की शुरुआत कर देते हैं। इस दिन गुलाबी वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। वैवाहिक जीवन में शांति के लिए पीले वस्त्र धारण करें। इस त्योहार पर मथुरा और वृंदावन में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और फूलों की होली खेली जाती है। अगर कोई व्यक्ति नया कार्य शुरू करना चाहता है तो यह दिन नए कार्य के आरंभ के लिए सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है। इस दिन श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।