चंडीगढ़:तीन दिनों तक पंचकूला को समर्थकों द्वारा बंधक बनाया गया और फिर हिंसा होते ही गोली चला दी गई। इसमें 40 लोगों की जान गई। जिम्मेदार कौन है? उच्च न्यायालय ने यह सवाल हरियाणा सरकार के समक्ष रखा है। यह भी स्पष्ट कर दिया कि पूरे प्रदेश में जितना नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा? सुनवाई के बाद फैसला लिया जाएगा।
जस्टिस जैन ने कहा कि मांग को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का सभी को अधिकार है, लेकिन उन तीन दिनों में समर्थक किस मांग को लेकर एकत्र हुए थे, सरकार को यह पता था। इसके बावजूद साध्वी यौन शोषण मामले में सीबीआई अदालत द्वारा 25 अगस्त, 2017 को डेरा मुखी को दोषी करार देने के बाद तीन दिनों तक पंचकूला को डेरा समर्थकों ने बंधक बनाए रखा। बाद में पुलिस को गोली चलाने को मजबूर होना पड़ा, जिसमे 40 की मौत हुई। इसके लिए जिम्मेदार कौन है। उच्च न्यायालय में इसे लेकर बहस शुरू हुई।
डेरा सच्चा सौदा की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट पुनीत बाली ने कहा कि दंगों और तोड़फोड़ की भरपाई डेरे से नहीं की जा सकती है। इसमें डेरे का कोई दोष नहीं है और वैसे भी उच्चतम न्यायालय यह तय कर चुका है कि ऐसे मामले में नुकसान के आकलन के लिए एक कमेटी गठित की जानी चाहिए, जो पूरा आकलन कर उसकी भरपाई करवाए।
केस को लंबा नहीं खींचा जाएगा
जस्टिस राजीव शर्मा, जस्टिस आरके जैन एवं जस्टिस एजी मसीह की फुल बेंच ने साफ कर दिया कि अब इस केस को और लंबा नहीं खींचा जाएगा। कोर्ट के सहयोगी वकील सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता को उच्च न्यायालय ने कहा कि वह डेढ़ दिन में अपनी दलीलें पूरी करें।
पंचकूला हिंसा में हुई मौतों का दोषी कौन, हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा
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