मुंबई। मुंबई के आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड के लिए पेड़ कटाई का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमे नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वापस लेने की घोषणा की है। यह जानकारी सीएम उद्धव ठाकरे के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए दी गई। उल्लेखनीय है कि मेट्रो कारशेड के लिए आरे कॉलोनी में लगभग 2700 हरे भरे पेड़ों को काट दिया गया था, जिसे लेकर भारी हंगामा हुआ था तथा तमाम प्रदर्शनकारियों पर मुंबई पुलिस ने मामले दर्ज कर कार्रवाई की थी।
जानकारी के अनुसार, रविवार को इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दी। उन्होंने लिखा है कि कल परसों मैने कारे कॉलोनी में बन रहे कारशेड को स्थगित कर दिया है तथा जंगल के कत्ल के समय प्रदर्शन कर रहे जिन पर्यावरणप्रेमियों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, उन्हें वापस लेने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा यह ट्वीट मराठी में किया गया है।
"काल पर्वाकडे मी आरेमधल्या कारशेडला स्थगिती दिली आहे. झाडांची कत्तल झाली त्यावेळेला तिकडे पर्यावरणप्रेमींनी आंदोलन, निदर्शनं केली होती, त्यांच्यावर गुन्हे दाखल केले गेले होते ते गुन्हे मी मागे घेण्याचे आदेश दिले आहेत."
–@CMOMaharashtra #Aarey pic.twitter.com/Pyfii27o6W
— Office of Uddhav Thackeray (@OfficeofUT) December 1, 2019
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने चुनाव के दौरान ही मुंबई के आरे कॉलोनी में कोर्ट के आदेश पर रातों-रात 2700 हरे पेड़ों को मेट्रो कारशेड बनाने के लिए काट दिए गए थे। इस दौरान कारशेड और हरे पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे तमाम पर्यावरण प्रेमियों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। पेड़ों की कटाई में व्यवधान न आए इसलिए फडणवीस सरकार ने धारा 144 भी लागू कर दिया था। हालांकि उस समय कांग्रेस सहित शिवसेना ने भी इन पेड़ों की कटाई को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्विटर पर लिखा है कि आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेना अत्यंत उचित है। महाविकास आघाड़ी के इस निर्णय का स्वागत है। पर्यावरण प्रेमियों की जगह जेल में नहीं है।
आरे कॉलनी येथील मेट्रो कारशेडचा विरोध करणाऱ्या पर्यावरणप्रेमी आंदोलकांवरील गुन्हे मागे घेण्याचा निर्णय अत्यंत योग्य आहे. #महाविकासआघाडी सरकारने घेतलेल्या या निर्णयाचे स्वागत!
पर्यावरण प्रेमींची जागा जेलमध्ये असता कामा नये!
— Sachin Sawant सचिन सावंत (@sachin_inc) December 1, 2019