नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ढाका और काठमांडू स्थित पाकिस्तानी दूतावास भारत विरोधी गतिविधियों के नए ठिकाने बन गए हैं। इन दूतावासों में तैनात पाकिस्तान के दो सैन्य अधिकारी अपने कूटनीतिक संबंधों का दुरुपयोग कर भारतीय जाली नोटों (एफआईसीएन) की तस्करी समेत भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) को इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं।
एक न्यूज एजेंसी को मिली आईबी की गोपनीय रिपोर्ट में यह पाया गया कि नेपाल में भारत-विरोधी भावनाएं भड़काने में काठमांडू में पाकिस्तान के राजदूत मजहर जावेद की भूमिका संदिग्ध है। मजहर जावेद ने 27 सितंबर को काठमांडू के महाराजगंज स्थित दूतावास परिसर में एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें 30 नेपाली मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और राजनयिकों को आमंत्रित किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षाबलों को सतर्क किया गया
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठक में मजहर जावेद ने नेपाली लॉबी को बताया कि भारत सरकार कश्मीर घाटी में लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। मजहर ने तीन अक्टूबर को नेपाली अखबार ‘नागरिक’ में एक लेख लिखा और उसमें तथ्यों से छेड़छाड़ कर आरोप लगाया कि जम्मू एवं कश्मीर में स्थिति भयावह बनी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी बताए जाने वाले मजहर ने दूतावास परिसर में इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों को शरण देकर खुफिया एजेंसी का ठिकाना बना दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तानी दूतावास का रक्षा अधिकारी कर्नल शफकत नवाज आईएसआई का नेतृत्व करता है और उसकी स्थानीय गिरोहों के माध्यम से एफआईसीएन की तस्करी करने में प्रमुख भूमिका रही है। जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में सक्रिय आईएसआई के विभिन्न मोड्यूल्स को धन मुहैया कराने में भी यह शामिल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान उच्चायोग में रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर कामरान नजीर मलिक ने ढाका में जेहादी नेताओं के साथ गोपनीय बैठक की। कामरान आतंकवादी गतिविधियों के अलावा एफआईसीएन की तस्करी कराने में भी संलिप्त रहा है। आईबी की इस रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय ने भारत-नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा पुलिस और भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सतर्क कर दिया है।