मेरठ : बाल सुधार गृह में बच्चे से कुकर्म की घटना ने पूरे जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सुधार गृह से प्रोबेशन विभाग तक के अधिकारियों-कर्मचारियों ने यह घटना पूरे डेढ़ माह तक दबाए रखी। कुकर्म करने वाला भाग निकला, केयरटेकर और अधीक्षक ने भी कोई जानकारी नहीं दी। किशोर न्याय बोर्ड ने जब डीएम को पत्र भेजा तो इसकी जानकारी हो पाई। आनन-फानन में मजिस्ट्रेटी जांच कराई गई और पूरा मामला सामने आया।
डीएम अनिल ढींगरा के मुताबिक बाल सुधार गृह में बच्चे से कुकर्म की घटना आठ जुलाई को हुई। इसके अगले ही दिन आरोपी संविदा कर्मचारी जावेद किसी को बताए बिना ही फरार हो गया। केयरटेकर को कुछ बच्चों ने यह प्रकरण बताया था। उसने भी किसी को कुछ जानकारी नहीं दी। इधर गृह अधीक्षक भी एक अगस्त को दो दिन के नाम पर लंबी छुट्टी पर चले गए।
डीएम ने बताया कि 21 अगस्त को किशोर न्याय बोर्ड ने उन्हें पत्र भेजकर इस प्रकरण की जानकारी दी। 22 अगस्त को मजिस्ट्रेटी जांच बैठाई। 23 अगस्त को मजिस्ट्रेट अमिताभ यादव ने जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस आधार पर उसी दिन आरोपी पर नौचंदी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। अगले दिन 24 अगस्त को आरोपी जावेद को शामली से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। डीएम ने कहा कि हमने मामला जानकारी में आने के तीन दिन के भीतर पूरी कार्रवाई की।
छुट्टी पर जाकर नहीं लौटे गृह अधीक्षक
बाल सुधार गृह के नए अधीक्षक अक्षयवर सिंह यादव बनाए गए हैं। उन्हें बस्ती से मेरठ में भेजा गया है। अक्षयवर सिंह के मुताबिक, यह मामला उनसे पहले का है। जब वे यहां आए तो पता चला कि पूर्व अधीक्षक अय्यूब हसन एक अगस्त को दो दिन की छुट्टी पर गए थे और फिर लौटे नहीं। अय्यूब हसन के खिलाफ डीएम ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है।
43 दिन तक बाल सुधार गृह में दबी रही बच्चे की आवाज
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