ठाणे। साध्वी श्री अणिमाश्री जी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन ठाणा में पर्युषण का दूसरा दिन स्वाध्याय के रूप में समायोजित हुआ। विशाल परिषद में अध्यात्म का दरिया हिलोरे ले रहा था।
साध्वी श्री अणिमाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा – दिमाग को दुरुस्त बनाए रखने वाले महत्वपूर्ण टॉनिक है स्वाध्याय। मस्तिष्क को सक्रिय रखने वाली रामबाण दवा है स्वाध्याय। आत्मरूपी दीपक की बाती है स्वाध्याय। दीपक की उस बाती को प्रज्ज्वलित रखने वाली चिंगारी का नाम है स्वाध्याय। जीवन रूपी पोथी के गूढ़ रहस्यों को स्वाध्याय के द्वारा ही जाना जा सकता है। दुनियाभर की जानकारी हासिल करने के अनेक साधन हमारे पास है, पर उन्हें स्वाध्याय नहीं कहा जा सकता। जिसके द्वारा हमारे आत्मज्ञान की वृद्धि होती है वो ही स्वाध्याय कहा जा सकता है। हम सत साहित्य को जीवन का अंग बनाएं ताकि जीवन को नई दिशा मिल सके।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने कहा – दुनिया में दो प्रकार के शब्द प्रचलित हैं – पदार्थाराम व आत्माराम। जो व्यक्ति पदार्थाभिमुखी होता है, वह पदार्थाराम एवं जिसकी चेतना आत्मा में रमण करती है, वह आत्माराम है। पर्युषण का यह समय आत्माराम बनने का समय है।
साध्वी कर्णिकाश्री जी ने कहा – पर्युषण महापर्व राग से विराग की ओर बढ़ने तथा विराग से वीतराग की ओर चरण-न्यास करने की प्रेरणा दे रहा है। साध्वी सुधाप्रभाजी ने सामायिक विचारों की प्रस्तुति देते हुए आगामी कार्यक्रमों की झलक प्रस्तुत की। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने प्रभावी मंच संचालन करते हुए कहा – अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करने वाला प्रेरणा प्रदीप है पर्युषण। आधि-व्याधि, उपाधि से मुक्ति का मार्ग दिखाता है पर्युषण। साध्वी सवत्वयशाजी ने आगम पथों की विवेचना करते हुए अनासक्त जीवन जीने की प्रेरणा दी।
ठाणा सेंट्रल महिला मंडल ने सुमधुर मंगल संगान किया। सभा के सहमंत्री पवन ओस्तवाल ने सूचनाएं संप्रेषित की।
आत्मरूपी दीपक की बाती है स्वाध्यायः साध्वी अणिमाश्री जी
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