रीतेश पाठक/मुंबई। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ मेवाड़ मुंबई (गोरेगांव)। में चातुर्मास कर रहे डॉ. गौतम मुनि मसा. ने शुक्रवार को व्याख्यान में मित्रता के बारे में बताते हुए कहा कि मित्र की परख मित्रता से ही होती है और इंसानियत की परख इंसानियत से होती है। गुरुदेव ने सच्चे मित्र के लक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि मित्र वह है जो साधार्मिक हो, जिसमे राष्ट्र बंधुत्व की भावना हो , एक जाति वाला मित्र, पिछड़ा मित्र, पीड़ित मित्र और दया मित्र। यह सब लक्षण सच्चे मित्र की मित्रता बताते हैं। अगर आपके धर्म में कोई साधार्मिक मित्र है तो उसको सब से पहले मित्र बनाना चाहिये। आगे गुरुदेव ने मित्र के 8 गुण बताएं जहां मानवता, दया, सेवा, करुणा, सहृदय, सहानुभूति, उदारता, संवेदना जिसमें यह गुण है वह सच्चा मित्र है। मित्र में मानवता होनी चाहिए, अगर जिसमे मानवता नहीं उसका मतलब वह शैतान का रूप है।तो वही सच्चे मित्र में अगर मानवता रहेगी, तभी दया रहेगी, दया रहेगी तभी सेवा रहेगी, सेवा रहेगी तभी करुणा रहेगी, करुणा रहेगी तभी सहानुभूति होगी, सहानुभूति होगी तभी सहृदयता रहेगी, सहृदयता रहेगी तभी उदारता रहेगी, उदारता रहेगी तभी संवेदना रहेगी, यह सब बहुमुल्य गुण हैं जो सच्चे मित्र में होना चाहियें।
गुरुदेव ने कहा कि आपके दिल में अगर भगवान है तो कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अगर भगवान के मन में वह श्रावक रम जाए तो उसके भाग्य खुल जाते हैं। इसके लिए वैसे कर्म और क्रिया करनी पड़ती है तभी जाकर आप भगवान के दिल में बस सकते हैं। प्रवचन में गुरुदेव की कहानियां श्रावकों को मनमोहक कर देती है तो वही मसा.ने अभय कुमार की रोचक कहानी सुनाई और कहा कि जीवन को मोड़ने की कला लोगो मे होनी चाहिए, अगर मित्र बनाना है तो ऐसा मित्र बनाओ जो आपका हर समय पर साथ देता हो। ऐसा मित्र मत बनाओ जो खुद के फायदे के लिए आपसे दोस्ती करता हो, ऐसा मित्र बनाओ जो आपके लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हो जाए। मित्रता आदान-प्रदान,लेन-देन से बढ़ती है। गुरुदेव ने जिनशासन पर सुंदर गीत सुनाया और कहा कि आप फालतू की पंचायत मत करो कोई अगर अच्छा काम कर रहा है तो उसका साथ निभाओ। गुरुदेव ने कहा की हम सभी को जीवन में एक संकल्प लेना चाहिए कि एक व्यक्ति जो हिंसा करता है उसको अहिंसक बनाना चाहिए क्योंकि हिंसा का पैसा घर में शांति नहीं देता। गुरुदेव ने कहा कि धर्म में बहुत ताकत होती है अगर आपको किसी को भेंट भी देना है तो उनको धार्मिक सामान दीजिए।
व्याख्यान में पाठ पर विराजित वैभव मुनि मसा. ने रिश्तो के बारे में बताते हुए कहा कि संसार में झगड़े बहुत होते हैं और ज्यादातर झगड़े रिश्तो में होते हैं पराए में कम। आपके घर में यदि प्यार है तो वह किसी पूर्व जन्म का पुण्य होता है। गुरुदेव ने कहा कि हमें निरापराधी जीव को मारना नहीं चाहिए। जितना हम त्याग करेंगे उतना जीवो का फायदा होगा और हमें ज्यादा से ज्यादा स्वाध्याय करना चाहिए। प्रवचन का समापन गुरु आरती से हुआ।
घाटकोपर उपसंघ की सेवा रही जिसमें अध्यक्ष सुरेश डी.सिंघवी, कोषाध्यक्ष हिम्मत रांका, महिला मंडल से अध्यक्षा सुशीला हिंगड़, मंत्री ललिता डांगी, कोषाध्यक्ष रीना चोरड़िया सहित तमाम श्रावक – श्राविकाओं की उपस्तिथि रही।
तो वहीं मेवाड़ संघ मुम्बई के पदाधिकारियों में अध्यक्ष किशनलाल परमार, सुरेश सोनी, दिनेश सिंघवी, दिनेश वडालमिया, नरेश लोढ़ा, श्याम सिंघवी, कन्हैयालाल मेहता, महिला मंडल से महामंत्री कंचन एल.सिंघवी, प्रमुखा ललिता सोनी, लाजवंती बडाला , पिस्ता लोढ़ा, विजयलक्ष्मी चंडालिया, प्रेमा कोठारी, स्नेहलता सिंघवी सहित तमाम श्रावक – श्राविकाओं की उपस्तिथि रही। जबकि तपस्या की लड़ी में मोहनलाल लोढ़ा जिनके 27 उपवास, जोड़े से महावीर हिरण और पूर्णिमा बेन हिरण जिनके 11 उपवास की तपस्या चल रही है। तो वही कार्यक्रम का संचालन ज्ञान प्रकाश समिति के मुख्य संयोजक विनोद चपलोत ने किया।
सोच समझकर मित्रता करनी चाहिए – डॉ. गौतम मुनि
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