वसई। साहित्य विदुषी विश्व वंदना का मानना है कि तपने का मतलब शरीर को सुखाना नहीं ,बल्कि मन को साधना और सुधारना होता है ।स्वयं के आत्मा यज्ञ से बढ़कर कोई तपस्या नहीं होती। अपने आहार, इच्छाओं ,कषाय, वासनाओं और कामनाओं पर नियंत्रण करना ही असली तपस्या है ।उन्होंने कहा सादगी से बढ़कर कोई सौंदर्य नहीं होता और त्याग से बढ़कर जीवन का कोई धर्म नहीं होता ।जो फल किसी देवी- देवता के व्रत से नहीं मिलता ,लेकिन हम अगर अपने जीवन की बुराइयों का त्याग कर देंगे तो वह फल हमें अनायास मिल जाएंगे ।व्यसनों और बुराइयों का त्याग जीवन की बहुत बड़ी तपस्या है ,तप को कभी भी प्रदर्शन का रूप न बनने दें।
वे शनिवार को वसई गांव स्थित स्थानकवासी श्रावक संघ के स्थानक में यह विचार व्यक्त कर रही थी। उन्होंने कहा कि शरीर तपेला है और आत्मा मक्खन ,पर व्यक्ति तपेले को तो बहुत तपा रहा है और मक्खन डालना भूलता जा रहा है ।इसलिए आदमी के जीवन में तपस्या अपना कोई परिणाम नहीं दे पा रही है ।गीता में तपस्या के जो तीन चरण कहे गए हैं उनका जिक्र करते हुए साध्वी ने कहा किस शरीर की तपस्या, वचन की तपस्या, मन की तपस्या ,उपवास ,व्रत , एकासन, यह सब शरीर की तपस्या है ।अपनी वाणी के द्वारा किसी को दुखी न करना, सदा सत्य और मधुर वाणी के द्वारा किसी को दुखी न करना ,सदा सत्य और मधुर बोलना ,वचन की तपस्या और मन को सदा प्रसन्न, शांत भाव में जीना, मौन रखना और आत्म शुद्धि को जीना और भाव सुदी को बनाए रखना मानसिक तपस्या है।
तप और तपस्या विषय को ही आगे बढ़ाते हुए मधुर वाणीनी परमेष्ठी वंदना ने कहा कि आम आदमी के लिए यह तो संभव नहीं है कि वह कपड़ों को बदलकर संत या मुनि बन सके लेकिन बुराइयों का त्याग करके और व्यवहारों को वह जीवन का संत बना सकता है ।उन्होंने कहा कि ज्ञान ,विवेक की रोशनी में जीता है ,बुराइयों का त्याग करके जीता है ,उससे बड़ा तपस्वी कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह तो संभव नहीं है कि हम किसी धर्मशाला या अस्पताल का निर्माण करवाएं पर हमारे लिए यह तो संभव है कि हम रोज 10:10 रुपए निकालकर साल में 36 सो रुपए इकट्ठे करवाकर किन्हीं दो रोगियों का या जरूरतमंद का इलाज करवा सकते हैं।
तप – तपस्या की लगी झड़ी
जैन साध्वी विश्व वंदना एवं परमेष्ठी वंदना की निश्रा में यहां वसई स्थित स्थानक से जुड़े अनेकों श्रावक इन दिनों तप तपस्या ,आयमबिल एवं तब की आराधना करने में लगे हुए हैं ।अध्यक्ष मांगीलाल बोल्या के अनुसार अब तक पुष्पाबैन ने 8 की तपस्या पूर्ण कर ली है ।वही सुमित्रा बैन कोठारी ने 5 की तपस्या ,ललिता बेन बोल्या एवं सुशिलाबेन दुग्गड ने तेले की तपस्या पूर्ण कर ली है। मंत्री बलवंत बाफना एवं उपाध्यक्ष नेमीचंद कोठारी ने अब तक के 11 उपवास की बड़ी तपस्या करने वाले संजय भाई दुग्गड के भी पारने करवा दिए गए हैं। कोषाध्यक्ष राजेश ठाकुरगोत्या ने बताया कि स्थानक में इन दिनों धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए दर्जनों बाल- गोपाल प्रतिदिन आ रहे हैं ,जिन्हें जैन धर्म की धार्मिक शिक्षा दी जा रही है।