जलगांव। जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में तेरापंथ सभा द्वारा जलगांव में प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ। शिविर के समापन को संबोधित करते हुए विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी कहा – सम्यक् ज्ञान ,दर्शन ,न चारित्र की आराधना आध्यात्मिक विकास का मूलाधार है। ऐसे शिविरों में इसकी आराधना स्वतः होने लगती है। ज्ञानशाला प्रशिक्षकों के अध्यापन का कार्य डालचन्दजी निपुणता से करते हैं। इस शिविर की सफलता में प्रशिक्षक श्री नौलखाजी की प्रशिक्षण शैली तथा प्रशिक्षकों का ज्ञान पिपासा मुख्य हैं। सफलता की A B C D श्रम व समय नियोजन से ही लिखी जाती है।
साध्वीश्री डॉ योगक्षेमप्रभाजी ने अपने प्रेरक वक्तव्य में कहा – प्रशिक्षकों की प्रशिक्षण शैली से भी अधिक महत्वपूर्ण है उनका जीवन व्यवहार । सभी प्रशिक्षकाओं का पारस्परिक सौहार्द, मृदृभाषिता व मृदृ अनुशासन ज्ञानशाला के ज्ञानार्थीयों को यही बोधपाठ लेना है।ज्ञान के विकास के साथ आचरण व व्यवहार का माधुर्य बढे़ तभी पयमिश्री का योग बनेगा। साध्वीश्री कुंदनयशाजी ने गीत की प्रस्तुति दी। मूख्य प्रशिक्षक श्री डालचन्दजी नौलखा ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा- चारित्रात्माओं की प्रेरणा और सान्निध्य से ऐसे शिविर सम्पन्न होते हैं। जलगांव मेरे लिए नया ही नहीं है विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी के पावन सान्निध्य में जलगांव का यह शिविर सफलताओं के स्वस्तिक रच रहा है। सभी प्रशिक्षकों की ग्रहण क्षमता अच्छी है। मेरे प्रति आपका प्रमोद भाव गुरूकृपा का प्रसाद है।
अपने त्रिदिवसीय अनुभवों की प्रस्तुति में भुसावल से पंकज छाजेंड़ , गायत्री छाजेंड़ ,श्रद्धा चोरड़िया ने हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सभी को भाव -विभोर कर दिया।जलगांव से नम्रता सेठिया ,विनीता समदरीया , मंजु दुगड़ आदि ने भावपूर्ण प्रस्तुति देते हुए शिविर की सफलता की दास्ता व्यक्त की । शय्यातर रतन जी सेठिया ने इस अनुग्रह हेतु कृतज्ञता प्रकट की। सभाध्यक्ष माणकचंद जी बैद व मंत्री नोरतन जी चोरड़िया ने अपने उद्गार प्रकट किए।सभाध्यक्ष ने साहित्य से नौलखा जी का स्वागत किया। इस त्रिदिवसीय ज्ञानयज्ञ में 20भाई-बहनों ने भाग लिया। यह जानकारी नोरतमल चोरडिया, मंत्री, तेरापंथी सभा, जलगांव ने दी।
जलगांव में ज्ञानशाला प्रशिक्षक प्रशिक्षण शिविर का सफलतापूर्वक समापन
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