जलगांव। आचार्य श्री तुलसी महानता के पर्याय थे उनकी महानता जीवन के किसी एक आयाम से नहीं अपितु नाना आयामों से प्रतिबिंबित थी कार्यकर्ताओं के निर्माण की वह एक विलक्षण टकसाल थे। उन्होंने अपने परिपाशर्व में रहने वाले साधु साध्वियो को ही योग्यता संपन्न नहीं बनाया अपितु कार्यकर्ताओं की एक लंबी फौज हर क्षेत्र में तैयार की उनके जीवन में एक और जहां कठोर अनुशासन था वहीं दूसरी और मां कि सी ममता भी थी। एक सिद्ध पुरुष की तरह अपने आशीर्वाद से सामान्य व्यक्ति को ऊर्जा संपन्न बना देते थे।
आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री निर्वाण श्री जी ने जलगांव में समायोजित श्रद्धार्पण समारोह में यह उद्गार व्यक्त किए। प्रबुद्ध साध्वी योगक्षेम प्रभा जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि आचार्य श्री तुलसी ने अपनी प्रलंब पदयात्रा से जैन शासन की प्रभावना करने का अभूतपूर्व कार्य किया। उनकी 100000 किलोमीटर की पदयात्रा न केवल कीर्तिमान है अपितु मानवता के जागरण का एक विलक्षण काम है और पुर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण सबको उन्होंने अपने नन्हें साहसी कदमों से एकसुत्रता के धागे में पिरोया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी मुदित प्रभा जी द्वारा प्रस्तुत तुलसी अष्टकम के पद्यों से हुआ । तेरापंथ सभा के अध्यक्ष मानक चंद जी बॆद, युवक परिषद के अध्यक्ष राजेश धाडेवा तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा संतोष छाजेड़ ने अपने श्रद्धा पूरित भावों से गणाधिपति तुलसी की अभ्यर्थना की ।
साध्वी लावण्य प्रभा जी ,साध्वी कुंदनयशा जी ,साध्वी मुदित प्रभा जी एवं मधुरप्रभाजी ने भावपूर्ण गीत का संगान किया।
श्री तोलाराम जी श्यामसुखा ने साध्वी वृंद का स्वागत करते हुए गीत के माध्यम से अपनी श्रद्धा को अभिव्यक्त किया ।
उत्साही कार्यकर्ता पवन श्यामसुखा ने जलगांव में अतिशीघ्र प्रारंभ होने वाले एटीडीसी उपक्रम के संदर्भ में आह्वान किया ।
उपासिकाश्रीमती वीणा छाजेड़ एवं खानदेश तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अनिल जी सांखला ने अपने भाव सुमन समर्पित किए मंच संचालन जलगांव के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री ठाकर मल जी सेठिया ने कुशलता पूर्वक किया प्रेषक नोरतमल चॊरडिया मंत्री तेरापंथ सभा ,जलगांव
23वें महाप्रयाण दिवस पर श्रद्धार्पण समारोहः महानता के पर्याय थे आचार्य तुलसी – साध्वी निर्वाण श्री
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