17.06.2019 कोडीहल्ली, बेंगलुरु (कर्नाटक): आदमी के मन में यदा-कदा संकल्प विकल्प उभरते रहते हैं। ये संकल्प या विकल्प राग-द्वेष की भावना से प्रेरित होते हैं तथा उससे युक्त होते हैं राग-द्वेष की भावना आदमी के जीवन को गर्त की ओर ले जाने वाली हो सकती है। जो आदमी समता में स्थित हो जाता है, उसके ऐसे संकल्पों और विकल्पों का नाश हो सकता है। जो मनुष्य हर स्थिति में सम रहने वाला बन जाता है, वह राग-द्वेष के संकल्पों और विकल्पों से मुक्त हो जाता है। आदमी के चिन्तन में कभी रागात्मकता आ जाती है तो कभी द्वेषात्मकता भी आ सकती है। परम सुख की प्राप्ति के लिए लिए आवश्यक है कि आदमी की आत्मा राग-द्वेष मुक्त अवस्था में स्थित हो जाए।
राग-द्वेष से मुक्ति के लिए आदमी को समता की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को कष्टों मंे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उससे निकलने का प्रयास करना चाहिए। जो आदमी कठिनाइयों को झेल ले और सुख-दुःख दोनों परिस्थितियों में अपने आपको सम भाव में रख ले, उसके जीवन में सुख और शांति का वास हो सकता है। समता की साधना सेवा की भावना से और अधिक पुष्ट होती है। कठिनाइयों में भी समता और मैत्री का भाव रखने वाला आदमी महापुरुष होता है। अभय का भाव भी समता की साधना से पुष्ट हो सकता है। समता को मानव जीवन का सुरक्षा कवच मानि लिया तो आदमी को अपने जीवन में सुरक्षा कवच रूपी समता की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। उक्त प्रेरणादायी मंगल पाथेय जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कोडीहल्ली गांव में स्थित न्यू आक्सफोर्ड हाइस्कूल के प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान की।
इसके पूर्व सोमवार को प्रातः आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ मालूर से मंगल प्रस्थान किया। मालूरवासियों ने पुनः अपने आराध्य के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आज के विहार पथ पर निर्माण का कार्य जारी था। इसलिए कहीं सड़क बन चुकी तो कहीं-कहीं गिट्टी, मिट्टी देकर सड़क का निर्माण कार्य हो रहा था। कुछ किलोमीटर तो पूर्व की बनी हुआ संकरा मार्ग अभी भी टूटे-फूटे रूप में यथावत था। ऐसे मार्ग पर लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री कोडीहल्ली स्थित न्यू आॅक्सफोर्ड हाईस्कूल में पधारे। आचार्यश्री ने स्कूल परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन में पावन पाथेय प्रदान करने के उपरान्त आचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित हुए स्कूल के आॅनर, प्रिंसिपल व शिक्षक-शिक्षिकाओं को मंगल आशीष भी प्रदान की। स्कूल के प्रिंसिपल श्री कृष्णप्पा ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी।
सुरक्षा कवच है समता की साधना: महातपस्वी महाश्रमण
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