हिंदू नववर्ष के तीसरे महीने ज्येष्ठ मास का प्रारंभ 19 मई से हो रहा है। ज्येष्ठ मास में तपती दुपहरी में सूर्यदेव अपने पूरे रौद्र रूप को दिखाते हैं। इस कारण इस महीने में झुलसा देने वाली गर्मी का अहसास होता है। इस महीने में पानी का महत्व बताने वाले पर्व त्योहार गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी आदि लोगों को जल की आवश्यकता के प्रति प्रेरित करते हैं।
गर्मी का मौसम तो नवसंवत्सर के प्रारंभ से ही शुरू हो जाता है और चैत्र मास के बाद वैशाख में भी गर्मी होती है लेकिन ज्येष्ठ मास में गर्मी पूरी प्रचंड होती है। इसी कारण पुराणों में ज्येष्ठ मास में जल के महत्व को सबसे अधिक माना गया है। ज्येष्ठ मास की गर्मी में लू चलने से हीट स्ट्रोक की आशंका भी बनी रहती है और पानी की किल्लत से सभी परेशान रहते हैं।
शुकतीर्थ स्थित ब्रहमविद्या पीठ के संस्थापक दंडी स्वामी महादेव आश्रम जी महाराज के अनुसार इस मास में गंगा दहशरा के माध्यम से गंगा स्नान कर लोग जल के महत्व को जानते हैं तो अगले दिन निर्जला एकादशी के माध्यम से जल बचाने और जल के महत्व को समझते हैं। दंडी स्वामी महादेव आश्रम जी महाराज ने बताया कि ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण व्रत होता है।
इससे दो संदेश मिलते हैं। एक तो प्रकृति में वटवृक्ष सर्वाधिक छाया देने वाला वृक्ष माना हाता है इसके माध्यम से प्रकृति के महत्व का पता चलता है दूसरे सावित्री ने इसी दिन यमराज से अपने पति की रक्षा की थी इसलिए महिलाएं यह व्रत रखकर अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती हैं। यही कारण है कि ज्येष्ठ मास जल के महत्व को बताने वाला मास है। यह महीना 19 मई से शुरू होकर 17 जून तक रहेगा।