मुंबई। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री निर्वाणश्री के पावन सान्निध्य में तेयुप जलगांव के द्वारा ‘सेल्फ मैनेजमेंट’ कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई। जैन इरिगेशन के रमणीय प्रांगण के कोन्फ्रेश होल में आयोजित स्व- प्रबंधन कार्यशाला के संभागियों को सम्बोधित करते हुए विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने कहा-खुद का नियोजन करोगें तो भविष्य निखर जाएगा। जो अपनी शक्तियों का अपव्यय करेंगा,वह अपना प्रबंधन नहीं कर पाएगा। स्व.-प्रबंधन एक छोटा सा शब्द है पर इसमें दुनिया के सारे शब्द समाविष्ट हैं। व्यक्तित्व विकास के सारे रहस्य इसमें निहित है।सेल्फ मैनेजमेंट का सिस्ट है -स्वभाव में रहना । विभाव से दूर होना । जिज्ञासा, समाधान भी विकास का माध्यम है। इस मौके साध्वीश्री जी ने प्रयोग करवाया।
मुख्य वक्ता साध्वीश्री डा.योगक्षेमप्रभाजी ने अपने प्रेरक संभाषण में कहा- स्व-प्रबंधन करने वाला जीवन में हर लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। आलस्य ,प्रमाद भावेश आदि से जो पराभूत हो जाता उसके self management एक ख्वाब है,हकीकत नहीं।-कल्पनाओं को सच के सांचे में ढालनें के लिए संकल्प जरूरी है। साध्वीश्री लावण्यप्रभाजी, साध्वीश्री कुंदनयशाजी, साध्वीश्री मुदितप्रभाजी व साध्वीश्री मधुरप्रभाजी ने “जागों जागों युवा बंधुओं” गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ महामंत्र के उच्चारण से हुआ।
तेयुप के सदस्यों ने विजय गीत का संगान किया।तेयुप के पूर्व अध्यक्ष राजेश जी धाडेंवा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन करवाया।तेयुप अध्यक्ष पवन जी सुराणा ने स्वागत वक्तव्य दिया। धन्यवाद ज्ञापन मंत्री रूपेश सुराणा ने किया।मंच संचालन पवन सिंधी ने कुशलतापूर्वक किया।कार्यशाला की सफलता में जैन आदि का विशेष सहयोग रहा।सुश्रावक दलीचन्दजी भाई ने अपने अनुभवों को सुनाते हुए विषय की विस्तृत चर्चा की।
स्वप्रंबधन कार्यशालाः नियोजन से निखरेगा कल- साध्वीश्री निर्वाणश्री
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