नई दिल्ली: रसोई गैस के साथ साथ मोटर वाहनों के लिए पूरे देश में स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के इरादे से शुरू हुई प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना के दूसरे चरण का काम अगले साल तक पूरा हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस परियोजना का काम पूरा होने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत समूचे पूर्वी भारत में पाइपलाइन के जरिए करीब 40 जिलों में गैस उपलब्ध होगी। उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर से लेकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया के बीच 12940 करोड़ रुपये की लागत से सरकार 2655 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन परियोजना पर काम कर रही है।
परियोजना का संचालन करने वाली कंपनी गेल इंडिया के मुताबिक इस परियोजना के जरिए इन इलाकों में मोटर वाहनों के लिए सीएनजी और खाना पकाने और गैस आधारित उद्योगों के लिए प्राकृतिक गैस उपलब्ध करायी जाएगी।
सरकार का इरादा इस गैस पाइपलाइन के जरिए पूर्वी भारत के 2600 गांवों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का है। ‘प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा पाइपलाइन परियोजना’ के तहत पूर्वी भारत के साथ मौजूदा प्राकृतिक गैस ग्रिड को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पहले चरण में कुल 49 जिलों को कवर किया गया था जिनमें उत्तर प्रदेश के आठ जिले शामिल थे। इनमें इलाहाबाद, वाराणसी, आजमगढ़, जौनपुर, चंदौली, गोरखपुर, अम्बेडकर नगर और संत कबीर नगर शामिल थे। दूसरे चरण में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के जिले शामिल किये गये हैं।
गैस पाइपलाइन का यह नेटवर्क उत्तरप्रदेश के पूर्वी हिस्से, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा। अकेले उत्तर प्रदेश में, 336 किमी की लंबाई तक 395 गांवों को इससे फायदा होगा। फूलपुर (इलाहाबाद, यूपी) और धामरा आरएलएनजी टर्मिनल (ओडिशा) में दो गैस स्त्रोतों के साथ यह पाइपलाइन, यूपी में गोरखपुर समेत बरौनी और सिंदरी में उर्वरक संयंत्रों को गैस की आपूर्ति भी करेगी।
साथ ही, जेएचबीडीपीएल नेटवर्क के साथ, सरकार वाराणसी, पटना, रांची, जमशेदपुर, भुवनेश्र्वर, कोलकाता, कटक आदि में शहर गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क विकसित किया है। पहला चरण पूरा हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन भी कर चुके हैं। अब दूसरे चरण का काम तेजी से चल रहा है। गेल के एक अधिकारी के मुताबिक उम्मीद है कि दूसरे चरण को भी तय समय सीमा से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इससे लगभग 1.25 करोड़ आबादी लाभान्वित होगी।
पहले केंद्र में और फिर 2014 में प्रदेश में भाजपा की मजबूत सरकार ने उत्तर प्रदेश की विकास की रफ्तार बढ़ाने के कई उपाय किये हैं। न केवल ढांचागत विकास बल्कि पार्टी ने नीतियां बनाते हुए राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में सभी शोषित, पिछड़े और वंचितों के हितों को केंद्र में रखा।
पार्टी को राजनीतिक दृष्टि से इसका लाभ भी मौजूदा चुनावों में दिख रहा है। प्रदेश में पहले पांच चरण के चुनावों से मिल रहे संकेत इस बात की ओर स्पष्ट इशारा कर रहे हैं कि आम जनमानस ने प्रदेश और केंद्र सरकार के कामों को सराहा है।