काठमांडू:नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि सशस्त्र क्रांति किसी व्यवस्था को बदल नहीं सकती। यह अनुभव होने के बाद ही माओवादियों ने नेपाल में हथियार छोड़कर शांति और लोकतंत्र का रास्ता अपनाया।
प्रचंड का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एक समय वह खुद राजशाही के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के बड़े समर्थक थे। वह हथियारों के बल पर देश में राजशाही खत्म कर गणतंत्र स्थापित करने के पक्षधर थे।
प्रचंड के इस बयान से मार्क्सवाद के नेपाल में हुए नए प्रयोग पर बहस छिड़ने की संभावना है। कार्ल मार्क्स की 201 वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में प्रचंड ने कहा कि दुनिया में कई सैन्य क्रांति विफल रही हैं। सशस्त्र क्रांति से किसी तरह की व्यवस्था नहीं बदल सकती।
उन्होंने कहा, पूंजीवाद के विकास से समाजवाद नहीं लाया जा सकता। ..और न ही यह राजशाही को खत्म किए बगैर संभव है। सामाजिक विकास के लिए हमें राष्ट्रीय पूंजी बढ़ानी होती है और वैचारिक आंदोलन खड़ा करना होता है।
हम अगर समाजवादी विचारधारा स्थापित करने में कामयाब रहे तो देश में सामाजिक क्रांति होना तय है। प्रचंड ने कहा, मार्क्सवाद पर गंभीर बहस की जरूरत है। इसमें नेपाल में हुए प्रयोग को समझे जाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता झालानाथ खनल ने कहा कि मौजूदा समय में भी मार्क्सवाद का वैश्विक राजनीति में बड़ा महत्व है। वह अभी भी उतना ही सामायिक है जितना 50 साल पहले या उससे पूर्व।