वाशी तेरापंथ भवन में बह रही है अध्यात्म की अविरल गंगा

वाशी: रविवार को वाशी तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक महापर्व के उपलक्ष्य में विराजमान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी जिनरेखा जी ने प्रातःकालीन प्रवचन के माध्यम से श्रावक समाज का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि जिस प्रकार हमारी भावना होती है उसी तरह से सही गलत व्यक्ति के जीवन में होता हैं। अगर हम जहर न भी पिये और सोचते रहे कि हमने जहर ही पिया है तो जहर न होते हुए भी वह पदार्थ शरीर में विष का काम कर जाता हैं। आलस्य भी मनुष्य जीवन में खतरनाक होता है अगर किसी के अंदर आलस्य हो तो वह व्यक्ति कभी सफल नही होता हैं। सक्रियता मनुष्य को सजग और सफल बनाता हैं। मनुष्य को कभी भी अहंकार नही करनी चाहिए। चाहे ज्ञान का हो, धन का हो, शरीर का हो व्यक्ति को किसी भी चीज का अंहकार नही करना चाहिए। बल्कि अपने जीवन में विनम्रता रखनी चाहिए। सत्ता पर बैठे अंहकार नही करना चाहिए क्योंकि आज पद है कल नही होगा।

इस अवसर पर अमृत खटेड, तुलसी महाप्रज्ञ फाउंडेशन मंत्री कमलेश बोहरा, अणुव्रत समिति मुम्बई मंत्री चेतन कोठारी, वाशी सभा अध्यक्ष संपत वागरेचा, तेयुप अध्यक्ष वाशी रंजीत खटेड, मंत्री अर्जुन सोनी, कोषाध्यक्ष जितेंद्र बाफना आदि की उपस्थिति रही।

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