आज के डिजिटल युग में बच्चों के दोस्त, खेल का मैदान, पार्क, सबकुछ इंटरनेट के एक एप्लीकेशन पर सिमट गया है। आउटडोर गेम्स से ज्यादा तवज्जो अब इनडोर गेम्स को भी नहीं बल्कि इंटरनेट गेम्स को मिलने लगी है।
इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन की गिरफ्त में जाना आसान है लेकिन उससे बाहर निकलना काफी मुश्किल है। विशेषज्ञों के मुताबिक इंटरनेट पर गेम खेलने की लत बच्चों को ना सिर्फ शारीरिक और मानसिक रुप से बीमार करती है बल्कि ये बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए एक बड़ा खतरा है।
इस प्रकार के कई मामले सामने आये हैं। हाल ही में एक 16 साल का स्कूली बच्चा इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन का शिकार हो गया। इलाज के लिए उसे अस्पताल लाया गया। हॉस्पिटल के साईकोलॉजिस्ट ने पाया कि बच्चा रोजाना 8-8 घंटे इंटरनेट पर ऑनलाइन गेम्स खेलता है। जिसकी वजह से उसने खाना-पीना लगभग छोड़ दिया। उसका वजन भी 10 किलो कम हो गया। गेमिंग एडिक्शन की वजह से बच्चे ने स्कूल जाना छोड़ दिया। दोस्तों के साथ बाहर खेलना-कूदना बंद कर दिया। अपने माता-पिता से बुरा बर्ताव करने लगा। हालात तब बुरे हो गए जब इंटरनेट नहीं चलने की वजह से वो चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो गया। डॉक्टर के मुताबिक इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन का ये मामला बेहद गंभीर था।
एक अध्ययन के मुताबिक 12 से 20 साल के किशोर बच्चों में इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर काफी आम है। यहां तक कि अमेरिका और यूरोप के मुकाबले एशियाई देशों में इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर के मामले ज्यादा पाये जा रहे हैं।
जिस तेजी से इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन के मामले दुनिया भर में बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए ये डर है कि कहीं जल्द ही इसे बीमारी का दर्जा न मिल जाएगा। इससे कई अन्य समस्यायें भी पैदा हो सकती हैं।
(ईएमएस)
बच्चों को समझाएं इंटरनेट से आगे भी है दुनिया
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