भायंदर। साध्वी श्री अणिमा श्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में भायंदर तेरापंथ सभा भवन के सुरम्य परिसर में तेरापंथी सभा भायंदर के तत्वावधान में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का प्रेरक एवं शानदार कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें सैकड़ों भाई बहनों ने भाग लेकर प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
साध्वी श्री अणिमा श्रीजी ने अपने प्रेरणादायी उदबोधन में कहा जीवन का आधार है परिवार जीवन का विकास है परिवार । परिवार है तो जीवन मे खुशहाली है इस सोच को नई दिशा देने की जरूरत है क्योंकि आज परिवार अपनी पहचान खोते जा रहे है। अधिकांश परिवारों में तनाव , कुंठा , निराशा , चिंता के कांटो ने अपने पैर फैला रखे है। रिश्ते तो है मगर रिश्तों का सौंदर्य गायब है और मिठास का भी अनुभव नही हो रहा है। एक वक्त वह भी था । जब इस धरती पर ऐसे रत्न पैदा हुए थे। जिन्होंने पिता के बचनों की रक्षा के लिए राज सिहांसन का त्याग कर वनवासी जीवन सहर्ष स्वीकार कर लिया था। वह भी एक पुत्र था। जिसने कंधो पर कांवड़ रख कर पिता माँ को तीर्थयात्रा करवाई थी। आज परिवार में वैसे संस्कारो की जरूरत है, ताकि रिश्तों में खुशहाली आ सके।
साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा जी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा सुखी परिवार वह है जहाँ संवादहीनता न हो । आज के मौहाल में संवाद शैली की समस्या है। परिवार के सदस्यों में संवाद बहुत कम है। इसलिए समस्याएं बढ़ती जा रही है। इसलिए परिवार के सदस्यों के बीच मंथली संगोष्ठी होनी चाहिए ताकि एक दूसरे के भावो के समझ सके एवं उनका निराकरण हो सके सुखी परिवार वह है जहाँ बाल पीढ़ी को संस्कार व समय दिया जाता है।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने कहा परिवार वह रसमय धरती है जहां हर बीज को फलने फूलने का अवसर मिलता है। परिवार वह झरना है जहां आनन्द का पानी बरसता है। साध्वी मैत्री प्रभाजी ने कुशल मंच संचालन करते हुए कहा परिवार में विश्वास की मजबूत दीवार होनी चाहिए। जिस परिवार में पुरूषार्थ का हल चलता है। वहा सफलता के मोती उगते है। साध्वी स्मतव्यशाजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। निर्मल जैन ने ओजस्वी मधुर गीत की प्रस्तुति दी। सभा के मंत्री माणक सालेचा ने अपनी भावाव्यक्ति दी।
भायंदर तेरापंथ में परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ
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