नई दिल्ली:रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक समीक्षा की बैठक में रेपो रेट 0.25 बेसिस प्वाइंट घटा दिया है। रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर (रेपो रेट) 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया है। रेपो रेट कम होने से होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन या लघु उद्योगों के लिए कर्ज की दरों में कमी आने की उम्मीद है।
रेपो रेट 0.25 बेसिस प्वाइंट हुआ कम
अभी रेपो रेट 6.50 फीसदी है जिसे आरबीआई ने घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया है। रेपो रेट पर ही आरबीआई बैंकों को एक दिन के लिए उधार देता है। इस रेट के घटने से बैंकों का कर्ज सस्ता हो जाता है। केंद्रीय बैंक ने पिछली तीन मौद्रिक समिति बैठक में पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले इस वित्त वर्ष में दो बार 0.25-0.25 फीसदी की वृद्धि की गई थी। दिसंबर की बैठक के बाद आरबीआई ने कहा था कि अगर महंगाई में तेजी का जोखिम नहीं बढ़ता है तो इसमें कटौती की जाएगी।
साल 2019-20 महंगाई दर 4 फीसदी तक रहने का अनुमान
आरबीआई ने 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.4 फीसदी रखा है। साल 2019-20 के पहले छह महीने के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.2 से 3.4 फीसदी के बीच रखा है। साल की तीसरी तिमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.9 फीसदी रखा है। शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई दर अपने 4 फीसदी के लक्ष्य या इससे कम रहने की उम्मीद है और महंगाई दर कम होने से आरबीआई रेपो रेट को कम कर पाई है। इससे पहले पिछले द्विमासिक मुद्रास्फीति में रिजर्व बैंक ने पहली छमाही के लिये 3.8 से 4.2 प्रतिशत मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया था।
किसानों के लिए बढ़ाई कर्ज की सीमा
आरबीआई ने किसानों के लिए जमानत मुक्त एग्रीकल्चर लोन की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपए कर दी है। 60,000 रुपए की सीमा बढ़ाने का फैसला महंगाई, एग्रीकल्चर इन्पुट कॉस्ट बढ़ने और छोटे किसानों के फायदे को ध्यान में रखकर किया है।
महंगाई दर में आई कमी
जरूरी वस्तुओं और तेल के दाम में थोड़ी कमी आने से खुदरा महंगाई दर दिसंबर 2018 में 2.19 फीसदी पर आ गई, जो 18 महीने का न्यूनतम स्तर है। थोक महंगाई दर दिसंबर में 3.80 फीसदी रही जो आठ महीने के निचले स्तर पर है।
नए गवर्नर की अध्यक्षता में पहली बैठक
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा हुई है। उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा देने के बाद दास ने दिसंबर 2018 में पदभार संभाला था।