मुंबई। मराठी ग्रंथ संग्रहालय की लड़ाई में वरिष्ठ साहित्यिकार डॉ गणेश देवी ने अपना समर्थन देते हुए स्पष्ट किया कि मराठी भाषा को खत्म करनेवाली हरेक प्रवृत्तियों से लड़ने की जरुरत है, तब जाकर मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय बचेगा और मराठी भाषा को बचाया जा सकता हैं।
मंगलवार को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गणेश देवी ने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की नायगांव शाखा का दौरा कर जायजा लिया। डॉ गणेश देवी को सोमवार को मेधाताई पाटकर की अगुवाई में संपन्न विशेष आम सभा और मंजूर प्रस्ताव की जानकारी दी गई। डॉ गणेश देवी के साथ धनंजय शिंदे, अनिल गलगली, सुधीर हेगिष्टे, नायगाव शाखा के कार्यवाहक कृष्णा नाईक, एड योगेश गायकवाड, सुरेंद्र करंबे, नितीन मोहिते उपस्थित थे। डॉ गणेश देवी ने कहा कि सबसे पहले ट्रस्ट के जरिए अनियमितता और धांधली को खत्म करने का प्रयास करने की जरुरत हैं। ट्रस्ट ने इसे ख़ारिज किया तो क़ानूनन लड़ाई लड़ने की जरुरत हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिन्होंने गलतियां की हैं उनपर कारवाई होना समय की जरुरत हैं। सांस्कृतिक संस्था के कामकाज का ऑडिट होना भी जरुरी हैं इसलिए जो 5 सदस्यीय समिती बनाई गई हैं उस समिती ने 21 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट को पेश किया तो उसपर आगे के आंदोलन की दिशा तय हो सकती है। सोमवार को मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के परिसर में हुई बैठक में समाजसेविका मेधा पाटकर, वरिष्ठ साहित्यकार रत्नाकर मतकरी, प्रा विजय तापस, माजी नगरपाल डॉ जगन्नाथ हेगडे, वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, राजन राजे, संयोजक सुधीर हेगिष्टे, धनंजय शिंदे ने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय को बचाने के लिए लड़ाई लड़ने की घोषणा की गई थी।
मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के समर्थन में उतरीं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गणेश देवी
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