बीरगंज (नेपाल)। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा बीरगंज नेपाल द्वारा दिनाँक 27.04.2024 को वर्षीतप तपस्वी श्रीमति राजू देवी डागा का बहुमान एवं तप अभिनंदन का कार्यक्रम आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा एवं समणी डॉ. मानस प्रज्ञा जी के सानिध्य में आयोजित किया गया।
सवर्प्रथम जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा बीरगंज के द्वारा तपस्वी के तप के अभिनंदन करने के लिए भव्य जुलूस एवं शोभायात्रा प्रातः 9 बजे जैन भवन से निकाली गई। ये शोभायात्रा लगभग 2 से 2.5 किलोमीटर की रही। जिसमें सर्व जैन समाज की पूर्ण रूप से सहभागिता रही। शोभायात्रा के दैरान जगह जगह पर तपस्वी का माला पहना कर अभिनंदन किया गया। तत्पश्चात शोभायात्रा जैन भवन आकर सम्पूर्ण हुई जैन भवन में तपस्वी का शंखनाद द्वारा स्वागत किया गया।
समणी डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी ने नमस्कार महामंत्र के द्वारा कार्यक्रम को शुरू किया।तत्पश्चात महिला मंडल बीरगंज द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति दी गई। स्वागत भाषण जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री निर्मल जी जैन के द्वारा दिया गया।
तेयुप बीरगंज के अध्यक्ष श्री धीरज बोरड़,तेरापंथ महिला मंडल के अध्यक्ष श्री बबिता जी खटेड़, नेपाल स्तरीय जैन स्वेताम्बर तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष-2 श्री अशोक जी बैद, श्री सुभाष जी जम्मड ने अपना मंतव्य देकर तपस्वी के तप का अनुमोदन किया।तेरापंथी सभा, तेयुप एवं महिला मण्डल के द्वारा सामूहिक गीतिका का संगान किया गया। इसके बाद महिला मंडल के सदस्यों के द्वारा एक संवादात्मिक कार्यक्रम किया गया जिसमें सोनम बोथरा, रचना भूतोड़िया, मिंटू बोथरा, अलका बोथरा की सहभागिता रही।
ज्ञानशाला के द्वारा श्रीमति तारा जी राखेचा जी ने एवं श्रीमति प्रीति बैद जी नेकविता के माध्यम अपनी भावनाओं की प्रस्तुति दी इसी क्रम में मुक्तक के द्वारा श्री बबिता जी एवं ईशा संचेती , श्री मीनू सेठिया – श्री मंजू दूगड़ ने अपनी भावनाओं की प्रस्तुति दी। श्रीमती राजदेवी डागा के भाई श्री नवरंग मल जी संचेती ने बहन के तप पर अपनी भावनाओं की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षकाओ एवं ज्ञानशाला के ज्ञानाथियो के द्वारा तप संवाद एवं त्याग की माला के नाटक द्वारा अपनी प्रस्तुति दी।कन्यामण्डल बीरगंज के द्वारा दीक्षा बैद,ईशा संचेती एवं मीनू सेठिया ने भावनात्मक नृत्य के द्वारा अपनी भावनाओं की प्रस्तुति दी।
तत्पश्चात समणी डॉ. ज्योति प्रज्ञा जी ने तप अभिनंदन कार्यक्रम में उपस्थित जन समूह को तप के बारे में विस्तृत रूप से समझाया उसके महत्व को बतलाया ओर तपस्वी श्री राजूदेवी डागा के तप की अनुमोदना की। समणी जी ने अपने प्रवचन में सभी से आग्रह किया कि इस वर्षीतप के उपलक्ष्य में आप भी नाना किस्म के वर्ष भर के लिए त्याग करके वर्षीतप कर सकते है ।
उन्होंने ये भी बतलाया आप तप करके ओर त्याग करके कैसे अपनें कर्मों की निर्जरा कर सकते है समणी जी ने फरमाया की अक्षय तृतीया के संबंध भगवान आदिनाथ से है। तप मोक्ष का मार्ग है। तप कर्मणा शरीर को तपाता है। आत्मा को पवित्र बनाता है। समणी जी के प्रवचन ओर उनकी वाणी से प्रभावित होकर कुछ सदस्यों ने अपनी भावना के अनुसार त्याग भी किया। अन्तः में तपस्वी श्रीमति राजुदेवी डागा ने अपना मंतव्य दिया । उन्होंने गुरुदेव के प्रति अपनी अनंत अनंत आस्था प्रकट की समणी जी के प्रति अपनी भावना प्रकट की ओर समाज के प्रति अपना आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम के अंत में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा,तेयुप,तेरापंथ महिला मंडल ने संयुक्त रूप से तपस्वी श्रीमति राजुदेवी डागा को दोनों समणी जी के सानिध्य में अभिनंदन पत्र देकर सन्मान किया।
तप अभिनंदन के इस कार्यक्रम में मंच का कुशल संचालन समणी डॉ. मानस प्रज्ञा जी ने किया और उन्होंने भी अपनी भावनाओं की प्रस्तुति दी।
बीरगंज (नेपाल) में वर्षीतप तपस्वी का बहुमान
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