नई दिल्ली:तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को विपक्षी दलों की रैली में कहा कि मोदी सरकार की एक्सपायरी डेट खत्म हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि एकजुट विपक्ष आगामी आम चुनाव में जीत हासिल करेगा। ममता ने कहा कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा इस पर फैसला चुनावों के बाद होगा। ममता की रैली के बाद कांग्रेस ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री का फैसला चुनावों के बाद होगा।
ममता ने यहां ब्रिगेड परेड मैदान में आयोजित रैली में विपक्षी दलों के साथ मिल कर काम करने का भी वादा किया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री कौन होगा, यह हम चुनाव के बाद तय करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ‘एक्सपायरी डेट’ खत्म हो गई है। मुख्यमंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि देश में मौजूदा हालात सुपर इमरजेंसी के हैं और उन्होंने नारा दिया ‘बदल दो, बदल दो, दिल्ली में सरकार बदल दो।’
ममता की मेगा रैली के बाद कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि जहां तक पीएम उम्मीदवार की बात है तो क्या आज पद खाली है? चुनाव के बाद इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाएगा। एक लोकतंत्र को प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। यहां हर कोई पीएम बनने के योग्य है। वे (बीजेपी) विपक्षी दलों की एकता देख परेशान हैं, इसलिए वे इस तरह के बयान दे रहे हैं।
जो लोग भाजपा के साथ नहीं हैं, उन्हें चोर बता दिया जाता है: ममता
ममता ने कहा कि भाजपा की आलोचना करते हुए कहा, राजनीति में शिष्टता होती है लेकिन भाजपा इसका पालन नहीं करती। जो लोग भाजपा के साथ नहीं हैं, उन्हें चोर बता दिया जाता है। . कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में शनिवार को 41 साल बाद विपक्षी दलों का इतना बड़ा जमावड़ा दिखा । 1977 में ज्योति बसु ने यहीं से कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजाया था। अब चार दशक बाद विपक्ष का ऐसा जमावड़ा देखने को मिला है। इससे पहले ज्योति बसु ने कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए 7 जून, 1977 को संयुक्त विपक्ष की मुट्ठी तान दी थी। इसके बाद इस ऐतिहासिक मैदान में उतने लोग कभी नहीं आए।
हम सबको को एक होकर लड़ना पड़ेगा: खड़गे
तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयोजित विपक्ष की रैली में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ नेता नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर लोकतंत्र को बचाना है, संविधान को बचाना है, सेक्युलर उसूलों को बचाना है, तो हम सबको को एक होकर लड़ना पड़ेगा। खड़गे ने शायराना अंदाज में कहा, ‘मंजिल दूर है, रास्ता कठिन है, फिर भी पहुंचना है। दिल मिले ना मिले, कम से कम हाथ मिलाकर चलो।’