- डोम्बिवलीवासियों ने किया भव्य स्वागत, विशाल जुलूस में दिखी श्रद्धा व आस्था की भावना
- ब्लॉसम इण्टरनेशनल स्कूल त्रिदिवसीय प्रवास को पहुंचे शांतिदूत
- संख्या ही नहीं, ज्ञान व गुणवत्ता की दिशा में हो वर्धमानता : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
- अपने आराध्य के अभिनंदन में डोम्बिलीवासियों ने दी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति
26.01.2024, शुक्रवार, डोम्बिवली, मुम्बई (महाराष्ट्र) : बृहत्तर मुम्बई के एक-एक उपनगरों को अपने सुकोमल चरणों से ज्योतित करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, भगवान वर्धमान के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शुक्रवार को मायानगरी के और उपनगर डोम्बिली में पधारे तो डोम्बिवलीवासी ऐसा सौभाग्य प्राप्त कर निहाल हो उठे। इतना ही नहीं, जन-जन का कल्याण करने वाले आचार्यश्री ने डोम्बिवलीवासियों को अपने त्रिदिवसीय प्रवास के दौरान वर्धमान महोत्सव जैसा महनीय आयोजन भी प्रदान किया था तो डोम्बिवलीवासी के आस्था, उत्साह व उमंग की लहरों में अत्यधिक तीव्रता भी दिखाई दे रही थी। तभी तो विशाल व भव्य स्वागत जुलूस महामानव का अभिनंदन कर रहा था।
शुक्रवार को प्रातःकाल अम्बरनाथ के तेरापंथ भवन से महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ डोम्बिवली के लिए मंगल प्रस्थान किया। अपने आराध्य के अभिनन्दन को डोम्बिवली का जन-जन आतुर था। मार्ग बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स से सजे हुए थे। स्थान-स्थान पर विभिन्न झाकियां, अनेक समाज व वर्गों के समूह भी मानों महामानव के अभिनंदन को आतुर थे। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने जैसे ही अपनी धवल सेना के संग डोम्बिवली की सीमा में मंगल प्रवेश किया, भक्तों के बुलंद जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। यह उद्घोष जन-जन की अपार आस्था और उमंग की उठती लहरों का प्रमाण दे रहा था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री डोम्बिवली (पूर्व) में स्थित ब्लॉसम इण्टरनेशनल स्कूल में पधारे।
स्कूल के प्रांगण में बने वर्धमान समवसरण में वर्धमान महोत्सव के प्रथम दिन भगवान वर्धमान के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि तीन शब्द हैं- वर्धमान अर्थात् बढ़ता हुआ, हीयमान घटता हुआ तथा अवस्थित अर्थात् ठहरा हुआ। आज से वर्धमान महोत्सव का त्रिदिवसीय कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहा है। यह मानों मर्यादा महोत्सव की पृष्ठभूमि के रूप में ख्यापित है। वर्धमान नाम और संज्ञा आदि को ख्यापित करता है। वर्धमान शब्द से हमें पहली बात प्राप्त होती है कि हमारे चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का एक नाम वर्धमान भी है। यह आगम आदि में कई स्थानों मात्र वर्धमान शब्द से ही सम्बोधित किए गए हैं। इसका दूसरा अर्थ बढ़ता हुआ होता है। मर्यादा महोत्सव से पूर्व गुरुकुलवास में बढ़ने वाली साधु-साध्वियों की संख्या से जुड़ा हुआ है। एक संदर्भ वर्धमान महोत्सव के रूप में भी है।
तीसरे संदर्भ में यह हो कि हमारे धर्मसंघ में साधु-साध्वियों व समणश्रेणी की संख्या वृद्धि हो, इसका भी प्रयास होना चाहिए। कोलकाता चतुर्मास के दौरान आयोजित एक संगोष्ठी में मुमुक्षु संख्यावृद्धि की चर्चा हुई थी। कुछ लोगों ने जिम्मेदारियां भी ली थी। संख्या वृद्धि के साथ-साथ गुणवत्ता की वर्धमानता भी अपेक्षित होती है। साधु-साध्वियों की संख्या के साथ-साथ ज्ञान का भी विकास हो।
आचार्यश्री ने 26 जनवरी भारतीय गणंतत्र दिवस के संदर्भ में भी उपस्थित जनता को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आज का दिन भारत देश के लिए बहुत महत्त्व का दिन है। आज के दिन भारतीय संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस है। देश को चलाने के लिए मर्यादा, व्यवस्था व संविधान की आवश्यकता होती है। भारत में भी नैतिक व आध्यात्मिक चेतना वर्धमान रहे, ऐसी मंगलकामना है।
आचार्यश्री के मंगल उद्बोधन के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने आज के अवसर पर जनता को उद्बोधित किया। वर्धमान महोत्सव के संदर्भ में समणीवृंद ने गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मण्डल से वर्धमान महोत्सव पर गीत को प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष व स्वागताध्यक्ष श्री गणपत हिंगड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ किशोर मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने संयुक्त रूप से प्रस्तुति दी। डोम्बिवली तेरापंथ समाज ने आचार्यश्री के स्वागत में गीत का संगान किया। श्रीमती निशा इंटोदिया ने आचार्यश्री से तेरह की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।