- ज्ञानशाला जीवन निर्माण की प्रयोगशाला हैः मुनिश्री जिनेश कुमारजी
साउथ कोलकाता। आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में दो दिवसीय ज्ञानशाला शिविर का दूसरा दिन ज्ञानशाला दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा-सुगंध के बिना फूल का, जड़ के बिना वृक्ष का प्रेम के बिना परिवार का, स्नेह के बिना दीप का, हड्डी के बिना शरीर का पुतली के बिना आँख का, रस के बिना गन्ने का मूल्य नहीं होता है। उसी प्रकार संस्कार के बिना जीवन का मूल्य नहीं होता है। संस्कार जीवन निर्माण का आधार है। संस्कार निर्माण में पूर्व भव के, माता पिता, गुरुजनों व मित्रों के संस्कार काम आते है। सुसंस्कारों से अच्छा व्यक्तित्व बनता है। संस्कार हमारे जीवन की संपदा है। मुनिश्री ने आगे कहा आज व्यक्ति सद् संस्कार से दूर होता जा रहा है हालात ऐसे हैं कि जन्म हास्पीटल बचपन होस्टल यौवन होटल बोटल में वह बुढापा हास्पीटल में व्यतीत हो रहा है। ऐसी स्थिति में संस्कारों की सुरक्षित रहना जरूरी है। संस्कारो को सुरक्षित रखने व नौनिहाल पीढी को सद्संस्कारी चारित्रवान व समझदार बनाने के लिए गुरुदेव तुलसी ने ज्ञानशाला का उपक्रम दिया। ज्ञानशाला के माध्यम से बालक बालिकाएं अच्छे इंसान बन सकते हैं। ज्ञानशाला जीवन निर्माण की प्रयोग शाला है। बच्चों ने अच्छी प्रस्तुति दी। प्रशिक्षिकाएं भी संघ की सेवा करती रहे। व्यवस्थापक आदि सब जन संघ की सेवा करते रहे।
मुनिश्री परमानंद ने कहा – ज्ञानशाला के माध्यम से अच्छे संस्कारों का निर्माण किया जा सकता है। मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया। मुख्य अतिथि महासभा के मुख्य न्यासी सुरेशजी गोयल ने कहा ज्ञानशाला महासभा का आयाम है। साउथ कोलकाता तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विनोद चौरड़िया ने स्वागत भाषण दिया । ज्ञानशाला की आंचलिक संयोजिका प्रेमलता चोरड़िया ने विचारों की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीत प्रस्तुत किया। दक्षिण कोलकाता, दक्षिण हावड़ा, उत्तर हावड़ा,बेहाला उत्तर मध्य कोलकत्ता, पूर्वाचल, टांलीगंज,, उतरपाड़ा, लिलुआ, बाली-बेलूर, हिन्द मोटर, साल्टलेक, रिसड़ा, आदि ज्ञानशाला ने बहुत सुंदर प्रस्तुति दी।
आभार तेरापंथ सभा के मंत्री कमल सेठिया ने व मंगलाचरण ज्ञानशाला के बच्चों ने किया। संचालन मुनि श्री परमानंद जी ने किया। मुनिश्री जिनेश कुमार जी के अतिरिक्त प्रीति मरोठी, सोनु श्रीमाली आदि ने प्रशिक्षण दिया। इससे पूर्व ज्ञानशाला के बच्चों की भव्य रैली हुई। बच्चों द्वारा बनाई काला कृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई जिसकी जनता ने भूरि भूरि प्रशंसा की शिविर में लगभग 49 ज्ञानशाला के 223 ज्ञानार्थी व 79 प्रशिक्षिकाएं थी। शिविर के प्रायोजक कल्याणमित्र विशनदयाल जी गोयल परिवार थे। शिविर को सफल बनाने में तेरापंथ सभा, ज्ञानशाला के व्यवस्थापक प्रशिक्षिकाएँ आदि का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर अनेक सभा संस्थाओं के पदाधिकारी एवं गणमान्य लोग विशेष रूप से उपस्थित थे