- मानवता के मसीहा महाश्रमण की मंगल सन्निधि में पहुंचे महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस
- महाराष्ट्र की समस्त जनता की ओर से आपका हार्दिक अभिनंदन : राज्यपाल रमेश बैस
- काम-क्रोध पर हो नियंत्रण तो जीवन बने शांतिमय : राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमण
26.08.2023, शनिवार, घोड़बंदर रोड, मुम्बई (महाराष्ट्र)। शनिवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, मानवता के मसीहा, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में पहुंचे। आचार्यश्री के चरणों को वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए महाराष्ट्र की धरा पर चतुर्मास करने के लिए आभार व्यक्त किया। आचार्यश्री ने भी उन्हें मंगल आशीर्वाद के साथ पावन पाथेय प्रदान किया।
शनिवार को नन्दनवन परिसर में तीर्थंकर समवसरण में समुपस्थित जनता को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र आगम के माध्यम से मंगल सम्बोध प्रदान करते हुए कहा कि आकाश को दो भागों में विभक्त किया गया है- पहला है अनंत अलोकाकाश और दूसरा है लोकाकाश। लोकाकाश अनंत आकाश रूपी समुद्र में एक टापू के समान है। भगवती सूत्र में प्रश्न किया गया कि लोक किसे कहते हैं? भगवान महावीर ने उत्तर प्रदान करते हुए कहा कि जहां पंचास्तिकाय हों, वह लोक होता है। सम्पूर्ण जगत को जैन आगम में पांच अस्तिकायों में विभक्त किया गया है और जहां यह पांचों अस्तिकाय होते हैं, वही लोक होता है। ये पांच अस्तिकाय इस प्रकार हैं- धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय तथा पुद्गलास्तिकाय। प्रथम चार अस्तिकाय अमूर्त होते हैं और अंतिम अस्तिकाय अर्थात पुद्गलास्तिकाय मूर्त होता है। अगर इसे संक्षेप में कहा जाए तो सृष्टि में दो ही तत्त्व हैं- जीव और अजीव। इस प्रकार यहां दुनिया के अस्तित्ववाद की बात बताई गई है। इससे यह प्रेरणा ली जा सकती है कि किसी भी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर एकदम सटीक तरीके से देने का प्रयास करना चाहिए, जिससे प्रश्नकर्ता संतुष्ट हो जाए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने कालूयशोविलास के आख्यान क्रम को भी संपादित किया। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अनेक तपस्वियों ने अपनी तपस्याओं का प्रत्याख्यान किया। गुरुदेव की सन्निधि में ‘सृजन सुख’ पुस्तक लोकार्पित की गई। इसके पश्चात आचार्यश्री ने लोगों को प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का 16वां राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारम्भ भी हो रहा था। इस सम्मेलन का थीम ‘लघुता से प्रभुता की ओर’ रखा गया था। इस अधिवेशन के मुख्य अतिथि के रूप में पूज्य सन्निधि में महाराष्ट्र राज्य के राज्यपाल श्री रमेश बैस आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए। आचार्यश्री को उन्होंने विधि अनुसार वंदन किया। राज्यपाल महोदय के शुभागमन से पर राष्ट्रगान और महाराष्ट्र के राजकीय गीत को प्रस्तुति दी गई। इस संदर्भ में चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मदनलाल तातेड़ व तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज ओस्तवाल ने अपनी अभिव्यक्ति दी।
आचार्यश्री ने तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग ले रहे संभागियों और महाराष्ट्र के राज्यपाल को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आत्मा और शरीर के योग से मानव जीवन का संचालन होता है। इस मानव जीवन में प्राप्त शक्तियों का सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। पापाचार और दुराचार में लगने वाली बुद्धि किसी काम की नहीं होती। आदमी को काम-क्रोध पर नियंत्रण कर अपने जीवन को शांतिमय बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए परम पूज्य गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग कराया। आज महाराष्ट्र के राज्यपाल महोदय के आना हुआ है। पहले भी आप जब झारखण्ड के राज्यपाल के रूप में थे तो रायपुर, छत्तीसगढ़ में आपसे मिलना हुआ था। महाराष्ट्र की जनता में खूब शांति, सौहार्द व नैतिक मूल्यों का विकास हो और जीवन नशामुक्त हो। आज टीपीएफ का अधिवेशन प्रारम्भ हुआ है। जीवन में दुर्गुणों की लघुता और सद्गुणों के विकास का प्रयास हो।
महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस ने मंगलवाणी का श्रवण करने के उपरान्त अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते कहा कि सर्वप्रथम मैं महाराष्ट्र की समस्त जनता की ओर से महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक-स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। अपने चतुर्मास के लिए महाराष्ट्र की भूमि का चयन किया, इसके लिए आपका आभार भी व्यक्त करता हूं। आपने शांति की स्थापना के लिए विशाल पदयात्रा करते हुए मानवता का कल्याण किया है। आप उदारमना हैं। महाराष्ट्र संतों की भूमि है। भगवान महावीर की प्रेरणा को ही आप आगे बढ़ा रहे हैं। मैं आपके सुखद चतुर्मास की कामना करता हूं। इस कार्यक्रम का संचालन टीपीएफ के उपाध्यक्ष व अधिवेशन के कनवेनर श्री मनीष कोठारी और आभार टीपीएफ के कोषाध्यक्ष श्री छवि बैंगानी ने किया। कार्यक्रम के अंत में एकबार पुनः राष्ट्रगान हुआ। तदुपरान्त आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण कर राज्यपाल महोदय पुनः अपने गंतव्य को रवाना हो गए। राज्यपाल को नन्दनवन परिसर में पुलिसकर्मियों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।