बल्लारी। युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ मुनिश्री पुलकित कुमारजी , मुनि आदित्य कुमारजी ठाणा 2 के पावन सानिध्य में 12 वर्षिय बल्लारी ज्ञानशाला की विद्यार्थिनी चाहत कोठारी ने अठाई की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
इस अवसर पर डॉ. मुनिश्री पुलकित कुमारजी ने फरमाया जैन धर्म में तपस्या का विशेष महत्व है। तप की कोई उम्र नही होती। किसी भी उम्र में तपस्या के भाव जाग जाते है। तपस्या के समरांगण में कोई विरला मनोबली, आत्मबली ही उतर पाता है। ज्ञानशाला बल्लारी की प्रतिभावान छात्रा चाहत कोठारी ने इस छोटी उम्र में अठाई की तपस्या करके अपनी प्रतिभा में नया निखार लाया है।
मुनिश्री ने चाहत के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामना व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन में इसी तरह तप के क्षेत्र में प्रगति करती रहे। तप अभिनंदन कार्यक्रम में नचिकेता मुनि आदित्य कुमारजी, सुरत से पधारे सुरेश सुराणा, बल्लारी ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका उपासिका सरोजबाई खिमेसरा, कोठारी परिवार की तरफ से अमृता बेगवानी, श्रीमती पुनम कोठारी, तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमलचंद छाजेड आदि वक्ताओं ने तपस्वीनी बालिका के प्रति गीत एवं वक्तव्य के माध्यम से तप अनुमोदना प्रकट की। बाल तपस्वीनी का सम्मान आचार्य महाश्रमण मोमेंटो के द्वारा महिला मंडल मंत्री डिपंल कोठारी, दिनेश सालेचा शांति देवी सालेचा पदम बेगवानी तथा ज्ञानशाला बल्लारी की प्रशिक्षिकाओं द्वारा तपस्या का संकल्प लेकर तप अभिनंदन किया गया।
बल्लारी में मुनिश्री की प्रेरणा से 12 वर्षीय चाहत कोठारी ने की अठाई
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